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नई दिल्ली। Supreme Court on Reservation : सुप्रीम कोर्ट ने आज आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की सब-कैटेगरी में आरक्षण दिया जा सकता है। यह फैसला चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के साथ 6 जजो की बेंच 2004 के एक जजमेंट को पलटते हुए दिया है। यहां आर्टिकल 341 को समझने की जरूरत है जो सीटों पर आरक्षण की बात करता है। उन्होंने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि आर्टिकल 341 और 342 आरक्षण के मामले को डील नहीं करता है।
Supreme Court on Reservation : जस्टिस बेला त्रिवेदी ने बहुमत के फैसले से अलग राय दी। उन्होंने अपने फैसले में लिखा कि मैं बहुमत के फैसले से अलग राय रखती हूं। उन्होंने कहा कि मैं इस बात से सहमत नहीं हूं जिस तरीके से तीन जजों की बेंच ने इस मामले को बड़ी बेंच को भेजा था। तीन जजों की पीठ ने बिना कोई कारण बताए ऐसा किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 6-1 के बहुमत से व्यवस्था दी कि राज्यों के पास आरक्षण के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति में उप-वर्गीकरण (Sub Classification) करने की शक्तियां हैं। कोर्ट ने कहा कि कोटा के लिए एससी, एसटी में उप-वर्गीकरण का आधार राज्यों द्वारा मानकों एवं आंकड़ों के आधार पर उचित ठहराया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति गवई ने एक अलग फैसले में कहा कि राज्यों को एससी और एसटी में क्रीमी लेयर की पहचान करनी चाहिए और उन्हें आरक्षण से बाहर करना चाहिए। असहमति जताते हुए फैसला लिखते हुए न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने कहा कि राज्य संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत अधिसूचित अनुसूचित जाति की सूची में छेड़छाड़ नहीं कर सकते।
शीर्ष अदालत ने ई वी चिन्नैया फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं पर 8 फरवरी को फैसला सुरक्षित रखा था, जिसने 2004 में फैसला दिया था कि सभी अनुसूचित जाति समुदाय, जो सदियों से बहिष्कार, भेदभाव और अपमान झेल रहे हैं, एक समरूप वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिन्हें उप-वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है।