नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बृहस्पतिवार को युवाओं से अपील की कि वे लीक से हटकर सोचने के लिए पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम से प्रेरणा लें और भारत के बड़े तबके को प्रभावित करने वाली विभिन्न आर्थिक एवं सामाजिक चुनौतियों के समाधान के लिए तकनीक का इस्तेमाल करें।
नायडू ने प्रवासी मजदूरों पर कोविड-19 के असर का जिक्र करते हुए गांवों एवं कस्बों में रोजगार एवं आर्थिक अवसर पैदा किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें विकेंद्रीकृत योजना, स्थानीय निकायों के क्षमता निर्माण और कुटीर उद्योगों को बड़े स्तर पर प्रोत्साहन देने पर ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि हमारे गांव एवं कस्बे विकास के केंद्र के रूप में उभरें।’’
उन्होंने कहा कि कलाम ने ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुख-सुविधाओं के प्रावधान के मॉडल के जरिए शहरों एवं ग्रामीणों के बीच अंतर को पाटने की आवश्यकता की वकालत की थी और यही सभी की प्राथमिकता होनी चाहिए।
नायडू ने ‘40 ईयर्स विद अब्दुल कलाम-अनटोल्ड स्टोरीज’ किताब के ऑनलाइन विमोचन के अवसर पर कहा कि यह किताब पूर्व राष्ट्रपति के जीवन की सीधी जानकारी देती है। इस किताब को शिवातनु पिल्लई ने लिखा है।
नायडू ने कहा, ‘‘डॉ. कलाम का जीवन यह मजबूत संदेश देता है कि यदि मुश्किलों और रुकावटों को सही भावना से लिया जाए, तो वे हमारे चरित्र और मानसिकता को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाती हैं।’’
उन्होंने कलाम को एक सच्चा कर्म योगी बताया और कहा कि वह हर भारतीय के लिए प्रेरणा हैं।
नायडू ने कहा, ‘‘वह सादगी, ईमानदारी एवं बुद्धिमत्ता का प्रतिमान थे। भारत की रक्षा एवं अंतरिक्ष क्षमताओं को मजबूत करने में उनका योगदान अनमोल है।’’
उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के दौरान वैज्ञानिक समुदाय के कई नवोन्मेषों पर प्रसन्नता जताई और कहा कि महामारी की शुरुआत में भारत में पीपीई की निर्माण क्षमता शून्य थी, जबकि अब भारत दुनिया में पीपीई किटों का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सफलता की इसी कहानी को अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में भी प्रतिबिम्बित करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाना कलाम का सपना था।
भाषा सिम्मी नरेश
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