पुत्रजय, 26 दिसंबर (एपी) जेल में बंद मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक को 1एमडीबी (वन मलेशिया डेवलपमेंट बरहाद) सरकारी निवेश कोष से अरबों डॉलर की लूट से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में सुनवाई के बाद शुक्रवार को दोषी ठहराया गया।
देश के उच्च न्यायालय ने 72 वर्षीय नजीब को सत्ता के दुरुपयोग के तीन मामलों में दोषी पाया। शुक्रवार दोपहर तक अन्य आरोपों पर सुनवाई जारी रही।
अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने 1एमडीबी कोष से 70 करोड़ डॉलर से अधिक की रकम अपने निजी बैंक खातों में अंतरित की। नजीब ने किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से इनकार किया और दावा किया कि यह धनराशि सऊदी अरब से प्राप्त राजनीतिक चंदा थी और उन्हें मलेशियाई व्यवसायी लो ताएक झो सहित कुछ शातिर वित्तीय प्रबंधकों ने गुमराह किया था। लो को इस घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है और वह अब भी फरार है।
न्यायमूर्ति कॉलिन लॉरेंस सेक्वेरा ने कहा कि सऊदी अरब से दान मिलने के संबंध में नजीब का दावा ‘‘विश्वास से परे’’ है। उन्होंने कहा कि सऊदी दानकर्ता के नाम से कथित तौर पर भेजे गए चार पत्र फर्जी थे और सबूतों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि धनराशि 1एमडीबी से आई थी।
उन्होंने बचाव पक्ष के इस तर्क को खारिज कर दिया कि नजीब अनजाने में शिकार बने थे और उन्हें 1एमडीबी के पूर्व अधिकारियों और लो ने धोखा दिया था। न्यायाधीश ने कहा कि गवाहों के बयानों से नजीब और लो के बीच एक ‘‘स्पष्ट संबंध’’ का पता चलता है, जिन्होंने इस घोटाले में अहम भूमिका निभाई थी और 1एमडीबी में नजीब के लिए ‘‘प्रतिनिधि, माध्यम, मध्यस्थ और सुविधादाता’’ के रूप में काम किया था।
न्यायाधीश ने कहा कि नजीब ने भारी मात्रा में धनराशि के स्रोत की पुष्टि करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया और न ही लो के खिलाफ कोई कार्रवाई की। इसके बजाय, नजीब ने संदिग्ध स्रोतों से प्राप्त धन का उपयोग किया और अपने पद को बचाने के लिए भी कई कदम उठाए जिसमें मामले की जांच कर रहे तत्कालीन अटॉर्नी जनरल और भ्रष्टाचार विरोधी प्रमुख को हटाना शामिल था।
सेक्वेरा ने कहा, ‘‘आरोपी कोई नासमझ नहीं था। इसलिए आरोपी को एक अज्ञानी के रूप में चित्रित करना या यह दर्शाना कि वह अपने आसपास हो रहे कुकर्मों से पूरी तरह अनभिज्ञ था, इस तरह का कोई भी प्रयास बुरी तरह विफल होगा।’’
सुनवाई के दौरान नजीब बेहद शांत दिखाई दिए और बीच-बीच में अपनी नोटबुक में कुछ लिखते दिखे।
नजीब 2009 से 2018 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। वर्तमान में वह 1एमडीबी घोटाले से जुड़े एक पुराने मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद जेल की सजा काट रहे हैं। इस घोटाले के उजागर होने के कारण 2018 में उनकी सरकार को हार का सामना करना पड़ा था।
उन्हें 2020 में सत्ता के दुरुपयोग, आपराधिक विश्वासघात और धन शोधन के आरोप में 12 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी, जिसमें 1एमडीबी की पूर्व इकाई एसआरसी इंटरनेशनल से उनके खातों में 4.2 करोड़ रिंगिट (1.03 करोड़ अमेरिकी डॉलर) की राशि अंतरित की गई थी।
अंतिम अपील खारिज होने के बाद अगस्त 2022 में उनकी सजा शुरू हुई और वह जेल जाने वाले मलेशिया के पहले पूर्व प्रधानमंत्री बन गए। शासकों को क्षमादान देने के संबंध में सलाह देने वाली संस्था क्षमादान बोर्ड ने 2024 में उनकी सजा आधी कर दी और जुर्माने में भारी कटौती की।
नजीब ने 2009 में सत्ता संभालने के तुरंत बाद 1एमडीबी विकास कोष की स्थापना की। प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 1एमडीबी के सलाहकार बोर्ड की अध्यक्षता की थी और वित्त मंत्री के रूप में उनके पास ‘वीटो’ का अधिकार था।
भ्रष्टाचार के इस मामले का असर वैश्विक बाजारों पर पड़ा और इसके चलते अमेरिका और अन्य देशों में जांच शुरू हो गई।
अमेरिकी न्याय मंत्रालय के अनुसार, 2009 और 2014 के बीच नजीब के शीर्ष अधिकारियों और सहयोगियों ने कोष से 4.5 अरब डॉलर से अधिक की रकम लूटी और अमेरिका, सिंगापुर और स्विट्जरलैंड सहित कई देशों के माध्यम से इसे धन शोधन के जरिए वैध बनाया।
अधिकारियों ने आरोप लगाया कि इन पैसों का इस्तेमाल हॉलीवुड फिल्मों के वित्तपोषण और होटलों, एक आलीशान नौका, कलाकृतियों और आभूषणों सहित फिजूलखर्ची वाली खरीदारी के लिए किया गया था। तत्कालीन अमेरिकी अटॉर्नी जनरल जेफ सेशंस ने इसे ‘‘भ्रष्टाचार का सबसे बुरा रूप’’ बताया था।
इस घोटाले का असर अमेरिका के शेयर बाजार ‘वॉल स्ट्रीट’ पर भी पड़ा, जिसमें गोल्डमैन सैक्स को 1एमडीबी के लिए धन जुटाने में अपनी भूमिका के लिए अरबों डॉलर के जुर्माने का सामना करना पड़ा।
इस सप्ताह की शुरुआत में नजीब भ्रष्टाचार के आरोप में अपनी सजा को घर में नजरबंदी की सजा में बदलने के प्रयास में असफल रहे।
मलेशिया के उच्च न्यायालय ने सोमवार को फैसला सुनाया कि देश के पूर्व राजा द्वारा जारी किया गया दुर्लभ शाही नजरबंदी आदेश अमान्य था क्योंकि यह संवैधानिक आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं था। नजीब के वकील ने कहा है कि वे अपील करने की योजना बना रहे हैं।
सजा में कमी के बाद मूल रूप से अगस्त 2028 में रिहा होने वाले नजीब को अब जेल में लंबा समय बिताना पड़ेगा।
नजीब की पत्नी रोसमा मंसूर को भी 2022 में भ्रष्टाचार के एक अलग मामले में 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी और भारी जुर्माना लगाया गया था। उन्हें अपील लंबित रहने तक जमानत पर रिहा कर दिया गया है।
एपी सुरभि रंजन
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