बहू को दहेज के लिए प्रताड़ित करने की बातें हवा से भी तेज फैलती हैं: न्यायालय

बहू को दहेज के लिए प्रताड़ित करने की बातें हवा से भी तेज फैलती हैं: न्यायालय

  •  
  • Publish Date - August 29, 2025 / 07:57 PM IST,
    Updated On - August 29, 2025 / 07:57 PM IST

नयी दिल्ली, 29 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को बहू के साथ क्रूरता करने की आरोपी महिला को बरी करते हुए टिप्पणी की कि ससुराल वालों द्वारा दहेज के लिए बहू को प्रताड़ित किए जाने की बात हवा से भी तेजी से फैलती है।

न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया।

उच्च न्यायालय ने महिला की दोषसिद्धि और तीन साल की सजा को बरकरार रखा था।

महिला को तत्कालीन भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए के तहत इस आधार पर दोषी ठहराया गया था कि उनकी बहू ने मरने से पहले मायके के सदस्यों को बताया था कि ससुराल के सदस्य उसका दहेज के लिए उत्पीड़न कर रहे थे।

भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए, विवाहित महिला के प्रति उसके पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा की गई क्रूरता के अपराध से संबंधित है।

शीर्ष अदालत ने हालांकि इस तथ्य पर संज्ञान लिया कि अपीलकर्ता की पड़ोसी जो मामले में बतौर गवाह पेश हुई ने दावा किया कि बहू से कभी दहेज की मांग नहीं की गई थी।

पीठ ने कहा, ‘‘उसके साक्ष्य को निचली अदालत और उच्च न्यायालय द्वारा इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि वह दहेज की मांग के संबंध में कोई तथ्य पेश नहीं कर सकी, क्योंकि यह चारदीवारी के भीतर होता है, जो एक गलत निष्कर्ष है, विशेष रूप से ऐसे मामलों में जब सास-ससुर द्वारा दहेज के लिए बहू को परेशान किए जाने की बात हवा से भी तेजी से फैलती है।’’

मृतका के पिता ने जून 2001 में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनकी बेटी ससुराल में मृत पाई गई थी। पिता ने आरोप लगाया था कि मौत के समय उनकी बेटी गर्भवती थी और उसने मायके के लोगों को बताया था कि उसकी सास दहेज के लिए ताने मारती है।

भाषा धीरज वैभव

वैभव