Tamil Nadu CM MK Stalin’s son Udhayanidhi sworn in as Minister of State : तमिलनाडु । DMK की युवा शाखा के सचिव और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उधयनिधि स्टालिन ने चेन्नई के दरबार हॉल, राजभवन में राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली।
Tamil Nadu CM MK Stalin’s son Udhayanidhi sworn in as Minister of State : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के बेटे उधयनिधि अपने पिता के मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में शामिल हो गए है। वो पहली बार विधायक चुने गए हैं और दक्षिण भारत के मशहूर एक्टर भी हैं। तमिल कैलेंडर के हिसाब से 14 दिसंबर का दिन शुभ माना जाता है इसीलिए उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने के लिए इस तारीख को चुना है और आज उदयनिधि ने शपथ ले ली है। उधयनिधि चेपक-थिरुवल्लिकेनी का प्रतिनिधित्व करते हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि उनको युवा कल्याण, खेल विकास और विशेष कार्यक्रम कार्यान्वयन जैसे विभाग मिलने की संभावना है।
Tamil Nadu | DMK’s youth wing secretary & CM MK Stalin’s son Udhayanidhi Stalin takes oath as state minister, at Durbar Hall, Raj Bhavan in Chennai. pic.twitter.com/zR09QCfYIs
— ANI (@ANI) December 14, 2022
Tamil Nadu CM MK Stalin’s son Udhayanidhi sworn in as Minister of State : राजभवन की तरफ से बताया गया कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने चेपौक-थिरुवल्लिकेनी सीट से विधायक उदयनिधि स्टालिन को मंत्री परिषद में शामिल करने के लिए राज्यपाल आरएन रवि से सिफारिश की थी। जानकारी के मुताबिक, राज्यपाल ने सिफारिश को मंजूरी भी दे दी थी। शपथ ग्रहण समारोह बुधवार 14 दिसंबर यानि की आज राजभवन के दरबार हॉल में सुबह साढ़े नौ बजे आयोजित किया गई। 45 वर्षीय उदयनिधि पहली बार विधायक चुने गए हैं। वह अभिनेता और फिल्मकार हैं।
Tamil Nadu CM MK Stalin’s son Udhayanidhi sworn in as Minister of State : उधयनिधि पहले से ही दक्षिण भारत में फिल्म प्रोडक्शन कंपनी के मालिक हैं। इसके अलावा वो खुद एक्टर भी हैं। उनके पास राजनीति करना मुश्किल होगा क्योंकि उनका ज्यादातर समय फिल्मों के लिए ही बीतता है। इसी वजह से वो कोई भी बड़ी जिम्मेदारी लेने से हिचकिचा भी रहे थे। लेकिन उनकी मां चाहतीं थीं कि बेटा जल्दी से जल्दी सक्रिय राजनीति में कदम जमा ले। डीएमके और राज्य सरकार के मामलों से जुड़े एक अन्य शीर्ष पारिवारिक सूत्र ने कहा कि सभी की ये सोच थी कि इंतजार करने का कोई मतलब नहीं था। अगर पार्टी में वंशवादी उत्तराधिकार के खिलाफ धक्का-मुक्की होती तो उधयनिधि को सामना करना पड़ सकता था।
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