गर्भवती महिलाएं ‘सुंदरकांड’ का पाठ करें, रामायण पढ़ें: तेलंगाना की राज्यपाल सौंदरराजन
गर्भवती महिलाएं 'सुंदरकांड' का पाठ करें, रामायण पढ़ें: तेलंगाना की राज्यपाल सौंदरराजन
नयी दिल्ली, 11 जून (भाषा) तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन ने रविवार को कहा कि गर्भवती महिलाएं मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए ‘सुंदरकांड’ का पाठ करें और उन्हें रामायण जैसे महाकाव्यों को भी पढ़ना चाहिए।
सौंदरराजन ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े एक संगठन के ‘गर्भ संस्कार’ कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए यह टिप्पणी की। वह स्त्री रोग विशेषज्ञ और भ्रूण संबंधी चिकित्सक भी हैं।
संवर्धिनी न्यास द्वारा आयोजित ‘गर्भ संस्कार’ कार्यक्रम के तहत, संगठन से संबद्ध चिकित्सक गर्भवती माताओं को ‘वैज्ञानिक और पारंपरिक’ उपायों के बारे में बतायेंगे, ताकि वे ‘संस्कारी और देशभक्त’ बच्चों को जन्म दे सकें।
ऑनलाइन माध्यम से जारी किए ‘गर्भ संस्कार’ मॉड्यूल के अनुसार, इन उपायों में भगवद् गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना, संस्कृत मंत्रों का जाप करना और योगाभ्यास शामिल होंगे। यह प्रक्रिया गर्भाधान के पहले से लेकर प्रसव के चरण तक शुरू होगी और तब तक जारी रहेगी, जब तक कि बच्चा दो साल का नहीं हो जाता।
इसके अनुसार, कार्यक्रम के दौरान गर्भवती महिलाओं के परिवार के सदस्यों का भी मार्गदर्शन किया जाएगा।
संवर्धिनी न्यास, राष्ट्र सेविका समिति की एक इकाई है, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का समानांतर संगठन है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सौंदरराजन ने ‘गर्भ संस्कार’ कार्यक्रम मॉड्यूल विकसित करने में संवर्धिनी न्यास के प्रयासों की सराहना की और कहा कि गर्भावस्था के प्रति इस ‘वैज्ञानिक और समग्र दृष्टिकोण’ के कार्यान्वयन से ‘निश्चित रूप से’ सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।
उन्होंने कहा, “गांवों में, हमने गर्भवती महिलाओं को रामायण, महाभारत और अन्य महाकाव्यों के साथ-साथ अच्छी कहानियां पढ़ते देखा है। खासकर तमिलनाडु में ऐसी मान्यता है कि गर्भवती महिलाओं को कम्ब रामायण के सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए।”
राज्यपाल ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान ‘सुंदरकांड’ का पाठ करना ‘ जन्म लेने वाले बच्चों के लिए बहुत अच्छा’ रहेगा।
सुंदरकांड, रामायण’ का एक अध्याय है।
पुडुचेरी की उपराज्यपाल सौंदरराजन ने कहा कि गर्भावस्था को लेकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण उस अवधि के दौरान जटिलाताओं को रोकने के लिए है, लेकिन गर्भावस्था के प्रति समग्र दृष्टिकोण गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ बच्चों को जन्म देने में मदद करेगा।
उन्होंने मातृत्व और ‘गर्भ संस्कार’ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गर्भावस्था के दौरान योगाभ्यास से गर्भवती मां और गर्भ में पल रहे शिशु, दोनों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होगा और अंततः सामान्य तरीके से प्रसव होने में मदद मिलेगी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, राष्ट्र सेविका समिति की बौद्धिक शाखा की सह-प्रमुख लीना गाहने ने जीजाबाई की 350वीं पुण्यतिथि पर ‘गर्भ संस्कार’ मॉड्यूल जारी किये जाने की सराहना की और उम्मीद जताई की कि इसके कार्यान्वयन से ‘शिवाजी महाराज जैसे गुणों वाली अगली पीढ़ी’ आएगी।
जीजाबाई, मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की मां हैं।
संगठन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार, ‘गर्भ संस्कार’ कार्यक्रम को पूरे देश में संवर्धिनी न्यास से जुड़े चिकित्सकों द्वारा लागू किया जाएगा।
न्यास के एक पदाधिकारी ने शनिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “इस उद्देश्य के लिए हमने देश को पांच क्षेत्रों में बांटा है और हर क्षेत्र में 10 चिकित्सकों का दल होगा, जो इस कार्यक्रम को लागू करेगा।’’
भाषा नोमान देवेंद्र सुभाष
सुभाष

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