आतंकवादियों की भर्ती का मामला : यूएपीए मामले के आरोपियों को जमानत देने से अदालत का इनकार

आतंकवादियों की भर्ती का मामला : यूएपीए मामले के आरोपियों को जमानत देने से अदालत का इनकार

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  • Publish Date - September 22, 2023 / 09:05 PM IST,
    Updated On - September 22, 2023 / 09:05 PM IST

नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों के साथ मिलकर ‘हाइब्रिड’ आतंकवादियों की भर्ती करने, युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने की साजिश रचने के आरोपों में गैर-कानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार सुहैल अहमद ठोकर को शुक्रवार को जमानत देने से इनकार कर दिया।

ठोकर पर आरोप है कि उसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिये जाने से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त किये जाने के बाद प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों के साथ मिलकर ‘हाइब्रिड’ आतंकवादियों की भर्ती की साजिश रची थी।

‘हाइब्रिड’ आतंकवादी सामान्य आतंकवादी से अलग होते हैं। ये सामान्य जिंदगी जीते हैं, किसी घटना को अंजाम देते हैं और उसके बाद फिर उसी जिंदगी में वापस चले जाते हैं। सुरक्षा एजेंसियों के लिए उन्हें ट्रैक कर पाना और उनका पता लगाना मुश्किल होता है, क्योंकि वे आम जनता के बीच रहते हैं। इसके खिलाफ पहले से पुलिस के पास कोई रिकॉर्ड भी नहीं होता है। ऐसे में यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बने रहते हैं।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की खंडपीठ ने यह कहते हुए आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी कि प्रथम दृष्टया यह मानने के उचित आधार हैं कि उसके खिलाफ आरोप सही हैं।

अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले संगठनों के खिलाफ यूएपीए के तहत सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है और अभियोजन पक्ष के अनुसार, अपीलकर्ता ने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन ‘जैश-ए-मोहम्मद’ से जुड़े दो आतंकवादियों के लिए आश्रय की व्यवस्था करने का प्रयास किया था।

ठोकर ने निचली अदालत की ओर से जनवरी में पारित उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया गया था।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, अदालत ने पाकिस्तान स्थित अपने मददगारों और नेताओं के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिज्ब-उल-मुजाहिदीन, अल-बद्र और अन्य सहित हिंसक और प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों को दर्ज किया। , आतंकवाद के कृत्यों में भाग लेने के लिए उन्हें भर्ती करने और प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से अतिसंवेदनशील स्थानीय युवाओं को प्रभावित करने और कट्टरपंथी बनाने के लिए, भौतिक और डिजिटल दोनों क्षेत्रों में एक साजिश रची, जिसमें हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक सामग्री को संभालना शामिल था।

अभियोजन पक्ष ने यह आरोप लगाया था कि अपीलकर्ता ने कश्मीर घाटी में आतंकवादियों के लिए रसद सहायता की व्यवस्था करने में सक्रिय भूमिका निभाई थी।

भाषा सुरेश माधव

माधव