मध्यस्थों द्वारा ‘अत्यधिक’ शुल्क वसूले जाने के ओएनजीसी के तर्क पर न्यायालय ने नाखुशी जताई |

मध्यस्थों द्वारा ‘अत्यधिक’ शुल्क वसूले जाने के ओएनजीसी के तर्क पर न्यायालय ने नाखुशी जताई

मध्यस्थों द्वारा ‘अत्यधिक’ शुल्क वसूले जाने के ओएनजीसी के तर्क पर न्यायालय ने नाखुशी जताई

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:36 PM IST, Published Date : March 8, 2022/9:10 pm IST

नयी दिल्ली, आठ मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को ओएनजीसी की इस दलील पर नाखुशी जताई कि मध्यस्थ (आर्बिट्रेटर) ‘अत्यधिक और मनमाना’ शुल्क वसूल रहे हैं।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति के के वेणुगोपाल की पीठ ने कहा, ‘‘क्या हमें यह कहना चाहिए कि किसी मध्यस्थ को बिना पारिश्रमिक के काम करना चाहिए। इससे तो बेहतर है कि मध्यस्थता प्रणाली बंद कर दी जाए।’’

शीर्ष अदालत ने कहा है कि मध्यस्थों को पक्षों द्वारा उनकी सहमति में तय शुल्क लेना चाहिए और पीठ को एकसमान दिशानिर्देश बनाने चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘‘अटॉर्नी जनरल, बहुत विनम्रता से आपसे कहना चाहते हैं कि जिस तरह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) काम कर रहे हैं, वह सराहनीय नहीं है। मध्यस्थ इस प्रक्रिया में खुद का पक्ष नहीं रख सकते, महज इसलिए आप पूर्वाग्रह की बात नहीं कर सकते। नियुक्ति के समय ही आपको कहना होगा कि आप शुल्क से सहमत नहीं हैं।’’

भाषा वैभव पवनेश

पवनेश

 

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