अदालत ने देश में एकसमान पाठ्यक्रम लाने की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

अदालत ने देश में एकसमान पाठ्यक्रम लाने की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

  •  
  • Publish Date - February 22, 2022 / 02:19 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:53 PM IST

नयी दिल्ली, 22 फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई), 2009 के कुछ प्रावधानों के कथित तौर पर मनमाना और तर्कहीन होने को चुनौती देने वाली तथा देशभर के बच्चों के लिए एकसमान पाठ्यक्रम लाने का अनुरोध करने वाली याचिका पर मंगलवार को केंद्र से जवाब मांगा।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने याचिका पर केंद्रीय शिक्षा, कानून और न्याय तथा गृह मंत्रालय को नोटिस जारी किए तथा मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 मार्च की तारीख तय की।

जनहित याचिका में कहा गया है कि आरटीई कानून की धारा एक (4) और एक (5) से तथा मातृभाषा में एक समान पाठ्यक्रम न होने से अज्ञानता को बढ़ावा मिल रहा है और मौलिक कर्तव्यों की प्राप्ति में देरी होगी।

याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि एकसमान शिक्षा प्रणाली लागू करना केंद्र का कर्तव्य है और वह इस आवश्यक उत्तरदायित्व को पूरा करने में नाकाम रही है क्योंकि उसने पहले से मौजूद 2005 की राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा (एनसीएफ) को स्वीकार किया, जो बहुत पुरानी है।

याचिका में आरटीई कानून के तहत कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गयी है जिसमें मदरसों, वैदिक पाठशालाओं और धार्मिक शिक्षा दे रहे शैक्षणिक संस्थानों को उसके दायरे से बाहर रखा गया है।

इसमें कहा गया है कि मौजूदा व्यवस्था से सभी बच्चों को समान अवसर नहीं मिलते हैं क्योंकि समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए पाठ्यक्रम अलग है।

याचिकाकर्ता ने कहा, ‘‘शिक्षा का अधिकार केवल निशुल्क शिक्षा तक सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि इसका विस्तार बच्चे की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के आधार पर भेदभाव किए बिना समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने पर होना चाहिए।’’

भाषा गोला शाहिद

शाहिद