न्यायालय राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर 11 जनवरी को सुनवाई करेगा

न्यायालय राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर 11 जनवरी को सुनवाई करेगा

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  • Publish Date - January 5, 2022 / 11:09 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:34 PM IST

नयी दिल्ली, पांच जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की याचिका पर 11 जनवरी को सुनवाई करेगा।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि समय की कमी के कारण वह याचिका पर अभी विचार नहीं करेगी और अंतिम निपटारे के लिए इसे 11 जनवरी को सूचीबद्ध करेगी।

गैर सरकारी संगठन ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र और अस्थाना द्वारा जवाबी हलफनामा दायर किया गया है और अब, वह इस मामले पर बहस करना चाहेंगे।

केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि एनजीओ की याचिका कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है और जाहिर तौर पर मौजूदा पुलिस आयुक्त के खिलाफ कुछ व्यक्तिगत प्रतिशोध का परिणाम है। हलफनामे में कहा गया है कि सार्वजनिक मुद्दों को उठाने का दावा करने वाले एनजीओ ने कभी भी आठ पूर्व पुलिस आयुक्तों की नियुक्ति को चुनौती देने पर विचार नहीं किया, हालांकि उन्हें उसी तरह से नियुक्त किया गया था जैसा कि अस्थाना के मामले में किया गया।

केंद्र ने हलफनामे में कहा है, ‘‘याचिका प्रकाश सिंह (शीर्ष अदालत के 2006 के एक फैसले) पर आधारित है, लेकिन यह इस तथ्य से स्पष्ट हो जाता है कि केंद्र द्वारा आठ आईपीएस अधिकारियों को दिल्ली के पुलिस आयुक्त के रूप में उसी प्रक्रिया से नियुक्त किया गया जिसका पालन करते हुए वर्तमान मामले में नियुक्ति की गई।’’

सरकार ने कहा कि पर्याप्त अकाट्य कारण मौजूद हैं जो याचिकाकर्ता के उद्देश्य, मकसद के बारे में बेहद गंभीर चिंताओं को जन्म देते हैं। केंद्र ने कहा कि अस्थाना की नियुक्ति में कोई दोष नहीं ढूंढा जा सकता है, जो सभी लागू नियमों और विनियमों का पालन करने के बाद की गई।

अस्थाना ने अपने हलफनामे में कहा है कि उन्हें दिल्ली पुलिस कानून, 1978 के तहत निर्धारित वैधानिक प्रक्रिया का पालन करके दिल्ली के पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (जीएनसीटीडी) नियम, 1993 का भी पालन किया गया।

अस्थाना ने एनजीओ द्वारा उनके खिलाफ शीर्ष अदालत में दायर याचिकाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन याचिकाओं के बाद उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान चलाया गया, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची। अस्थाना ने कहा है कि यह उनकी इस आशंका की पुष्टि करता है कि उनकी नियुक्ति के लिए ये चुनौतियां पूरी तरह से व्यक्तिगत प्रतिशोध का परिणाम थीं।

भाषा आशीष शफीक