अमृतपाल सिंह से जुड़ी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी |

अमृतपाल सिंह से जुड़ी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी

अमृतपाल सिंह से जुड़ी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी

:   Modified Date:  April 12, 2023 / 03:51 PM IST, Published Date : April 12, 2023/3:51 pm IST

चंडीगढ़, 12 अप्रैल (भाषा) पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय अमृतपाल सिंह से संबंधित एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर 24 अप्रैल को सुनवाई करेगा। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिए गए कट्टरपंथी सिख उपदेशक के सहयोगियों के रिश्तेदारों द्वारा दायर याचिका पर भी सुनवाई की अगली तारीख भी यही है।

उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा था कि अमृतपाल के सहयोगियों– दलजीत सिंह कलसी, गुरमीत सिंह, कुलवंत सिंह, वरिंदर सिंह फौजी, भगवंत सिंह उर्फ प्रधानमंत्री बाजेके और बसंत सिंह–के रिश्तेदारों की याचिका पर सुनवाई 24 अप्रैल को होगी।

रासुका के तहत हिरासत में लिये गये व्यक्तियों के रिश्तेदारों ने इससे संबंधित आदेश रद्द करने का अनुरोध किया है।

न्यायमूर्ति एन एस शेखावत की पीठ ने बुधवार को जैसे ही सुनवाई शुरू की, अमृतपाल के कानूनी सलाहकार एवं याचिकाकर्ता इमान सिंह खारा ने एक अर्जी देकर इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगने का अदालत से अनुरोध किया।

खारा ने अदालत में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर दावा किया कि अमृतपाल पुलिस की ‘अवैध हिरासत’ में है। हालांकि, पंजाब सरकार ने अदालत से पिछली सुनवाई में कहा था कि तमाम कोशिशों के बावजूद अमृतपाल को अब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।

बंदी प्रत्यक्षीकरण एक ऐसी याचिका है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को अवैध और मनमाने तरीके से हिरासत में रखे जाने के खिलाफ संरक्षण की मांग की जाती है। यह निर्धारित करता है कि व्यक्ति को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार गिरफ्तार किया गया है, या नहीं।

बुधवार को सुनवाई के बाद संवाददाताओं से बातचीत में खारा ने कहा कि न्यायाधीश ने मामले में सुनवाई के लिये अगली तारीख 24 अप्रैल तय की है। अदालत रसुका के तहत हिरासत में लिये गये अमृतपाल के सहयोगियों के रिश्तेदारों द्वारा दायर याचिका पर भी इसी दिन सुनवाई करेगी।

अमृतपाल सिंह से जुड़े मामले में 29 मार्च को सुनवाई के दौरान, अदालत ने खारा से इस बारे में सबूत पेश करने को कहा था कि कट्टरपंथी उपदेशक अवैध हिरासत में है, जबकि सरकार का यह कहना है कि उपदेशक को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।

खारा ने अपनी याचिका में कथित पुलिस हिरासत से अमृतपाल को अदालत में पेश करने का अनुरोध किया है।

इससे पहले 21 मार्च को उच्च न्यायालय ने खुफिया तंत्र की विफलता को लेकर पंजाब सरकार को फटकार लगाई थी क्योंकि इसी कारण खालिस्तान समर्थक अमृतपाल पुलिस को चकमा दे सका था।

पुलिस ने पिछले महीने अमृतपाल और उसके संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के सदस्यों के खिलाफ एक बड़ा अभियान शुरू किया था।

खालिस्तान समर्थक को पकड़ा जाना अभी बाकी है। वह 18 मार्च को जालंधर जिले में पुलिस को चकमा देकर भाग गया था।

भाषा

रंजन रंजन सुभाष

सुभाष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)