Kanwar Yatra Hearing: कांवड़ यात्रा रूट में नेमप्लेट विवाद, समर्थन को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, याचिकाकर्ता ने दी ये दलील

Kanwar Yatra Hearing: कांवड़ यात्रा रूट में नेमप्लेट विवाद, समर्थन को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, याचिकाकर्ता ने दी ये दलील

Kanwar Yatra Hearing: कांवड़ यात्रा रूट में नेमप्लेट विवाद, समर्थन को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, याचिकाकर्ता ने दी ये दलील

Kanwar Yatra Hearing

Modified Date: July 25, 2024 / 08:59 am IST
Published Date: July 25, 2024 8:57 am IST

नई दिल्ली: Kanwar Yatra Hearing 22 जुलाई सोमवार से सान शुरू हो गया है, जो 19 अगस्त को खत्म होगा। सावन शुरू होते ही एक ओर कांवड़ यात्रा की शूरुआत हो चुकी है तो दूसरी ओर इस पर सियासत शुरू हो चुकी है। कांवड़ यात्रा रूट पर पड़ने वाले खाने-पीने की दुकानों के मालिक और कर्मचारियों के नाम लिखने का आदेश मुजफ्फरनगर पुलिस ने दिया था। जिसके बाद यूपी सरकार ने इस आदेश को पूरे प्रदेश में लागू कर दिया। साथ ही उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार ने भी इसे लागू कर किया था। जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी। कुछ दिनों बाद इस मामले पर फिर से सुनवाई होगी।

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Kanwar Yatra Hearing अब इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ‘नेमप्लेट’ के समर्थन में एक याचिका दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मामले को जबरदस्ती साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने खुद को इस मुद्दे पर पक्षकार बनाया जाने की मांग भी की है। याचिकाकर्ता सुरजीत सिंह यादव का कहना है कि नेमप्लेट लगाने का निर्देश शिवभक्तों की सुविधा, उनकी आस्था और कानून व्यवस्था को कायम रखने के लिहाज से दिया गया है। लेकिन उनके निर्देश को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि इस मामले में याचिका दाखिल करने वाले दुकानदार नहीं बल्कि वो लोग हैं जो इस मामले को सियासी रंग देना चाहते हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान कहा है कि उपरोक्त निर्देशों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश पारित करना उचित है। ढाबा मालिकों, फल विक्रेताओं, फेरीवालों समेत खाद्य विक्रेताओं को भोजन या सामग्री का प्रकार प्रदर्शित करने की जरूरत हो सकती है, लेकिन उन्हें मालिकों की पहचान उजागर करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड की सरकार को नोटिस भी जारी किया है। कोर्ट का कहना था कि यदि याचिकाकर्ता अन्य राज्यों को जोड़ते हैं तो उन राज्यों को भी नोटिस जारी किया जाएगा।

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लेखक के बारे में

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