तिरुवनंतपुरम, 18 नवंबर (भाषा) श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर में प्रसिद्ध मुरजपम–लक्षदीपम पर्व 20 नवंबर से शुरू होगा। मंदिर अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
‘मुरजपम’ मंदिर में हर छह साल में आयोजित होने वाला 56 दिनों का अनुष्ठान है, जिसमें वेदों और विष्णु सहस्रनाम का निरंतर जाप किया जाता है।
पर्व का समापन 14 जनवरी, मकर संक्रांति के दिन ‘लक्षदीपम’ के साथ होगा। इस भव्य आयोजन के दौरान मंदिर को एक लाख तेल के दीपों से रोशन किया जाएगा।
हर छह साल में आयोजित होने वाले इस पर्व में देशभर के वैदिक विद्वान 56 दिनों तक लगातार चारों वेदों का पाठ करते हैं। पर्व का समापन मंदिर परिसर में प्रतीकात्मक रूप से एक लाख मिट्टी के दीयों को प्रज्वलित करने के साथ होता है।
उत्सव के दौरान मंदिर के मुख्य तालाब पर 48 दिनों तक सुबह छह बजे से शाम सात बजे तक ‘जलजपम’ का आयोजन भी किया जाएगा।
त्रावणकोर राजघराने के राजकुमार आदित्य वर्मा ने बताया कि पिछली बार इस पर्व में 25,000 से अधिक लोग शामिल हुए थे। इस वर्ष आग से जुड़े खतरों और अन्य सुरक्षा कारणों के चलते भीड़ को नियंत्रित किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “हर दिन मुरजपम के बाद रात साढ़े आठ बजे मुरसीवेली होगी, जिसमें भगवान अनंत पद्मनाभ की शोभायात्रा निकाली जाएगी। इस दौरान प्रतिमा को विशेष रूप से सजाए गए विभिन्न वाहनों पर ले जाया जाएगा।”
उन्होंने बताया कि मुरजपम में श्रींगेरी, उडुपी, उत्तरादी मठ और कांचीपुरम के वैदिक विद्वान भाग लेंगे और पंडितों के स्वागत के लिए विस्तृत इंतजाम किए गए हैं।
हैदराबाद के चिन्ना जीयर स्वामीगल 21 नवंबर को जपम में भाग लेंगे।
मंदिर के पूर्वी नाद में एक ‘वेदमंडपम’ (वैदिक मंडप) बनाया जाएगा, और 20 नवंबर से 10 जनवरी तक मंदिर परिसर में देश के प्रमुख कलाकारों के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
अभिनेता राणा दग्गुबाती 20 नवंबर को सांस्कृतिक कार्यक्रमों का उद्घाटन करेंगे।
त्रावणकोर राज्य के संस्थापक मार्तंड वर्मा ने मंदिर में मुरजपम–लक्षदीपम उत्सव की शुरुआत की थी और आदेश दिया था कि यह पर्व हर छह साल में आयोजित किया जाए।
आयोजकों ने कहा कि वे भविष्य में मुरजपम–लक्षदीपम उत्सव को दक्षिण भारत का कुंभ मेला बनाने की इच्छा रखते हैं।
भाषा खारी नरेश
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