‘मरने के बाद भी खत्म नहीं होता निजता का अधिकार’, हाई कोर्ट ने लिया फैसला, जानें क्या है मामला

'मरने के बाद भी खत्म नहीं होता निजता का अधिकार', हाई कोर्ट ने लिया फैसला, 'Right to privacy does not end even after death'

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  • Publish Date - October 2, 2022 / 02:35 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:08 PM IST

Right to privacy : कोलकाता। निजता का अधिकार यानी Right to Privacy को लेकर कोलकाता हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। इसके मुताबिक निजता का अधिकार किसी व्यक्ति की मौत के बाद भी खत्म नहीं होता है। हाई कोर्ट में राशिका जैन डेथ केस को लेकर सुनवाई चल रही थी। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि निजता का अधिकार किसी व्यक्ति की मृत्यु के साथ समाप्त नहीं हो जाता और प्राइवेट चैट्स और मृत व्यक्ति की तस्वीरों का खुलासा आरटीआई अधिनियम के तहत नहीं किया जा सकता है।

जानें क्या है निजता के अधिकार मामला?
2020 में राशिका जैन की शादी हुई थी, मगर एक साल बाद रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। राशिका की मौत के बाद उनके माता-पिता और ससुराल वालों ने एक-दूसरे के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। जांच के दौरान पुलिस ने शादी से पहले राशिका और उसके दोस्त के बीच व्हाट्सऐप चैट का जिक्र किया।

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इसके बाद उसके ससुराल वालों ने बातचीत का ब्योरा मांगते हुए एक आरटीआई आवेदन दायर किया। आरटीआई एक्ट के तहत पुलिस ने इस जानकारी को शेयर भी कर दिया। इस पर राशिका के माता-पिता ने हाईकोर्ट का रूख किया।

निजता के अधिकार पर कोर्ट ने क्या कहा?
Right to privacy : मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, ‘किसी की भी निजता के अधिकार का संरक्षण करना अहम है। किसी की भी निजी जिंदगी से जुड़ी कोई भी जानकारी स्वैच्छिक और बिना बाध्यता के सामने आनी चाहिए चाहिए। मृतक के अधिकार का सम्मान करना हमारा दायित्व इसलिए भी है कि क्योंकि मृतक अपने प्राइवेट स्पेस में इस तरह की किसी भी घुसपैठ के खिलाफ अपना बचाव नहीं कर सकता है।

हाई कोर्ट की तरफ से बंगाल पुलिस को निर्देश दिया गया है कि मौत से पहले राशिका जैन ने अपने दोस्त को जो भी व्हाट्सऐप संदेश और तस्वीरें भेजी थीं उन्हें RTI एक्ट के तहत ‘प्राइवेट इन्फॉर्मेशन’ ही माना जाए।

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क्या होता है निजता का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट में वकील अनमोल शर्मा कहती हैं,’ संविधान के अनुच्छेद 21 में जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार है। बाद में इसमें निजता के अधिकार को भी जोड़ दिया गया। यानी निजता भी मौलिक अधिकार का हिस्सा है ऐसे में कोई भी नागरिक अपनी निजता के हनन की स्थिति में याचिका दायर कर न्याय की मांग कर सकता है। इसके अंतर्गत किसी व्यक्ति के जीवन में किसी अन्य व्यक्ति की ज़बरदस्ती के हस्तक्षेप पर रोक भी लगायी जा सकती है।

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