संप्रग सरकार ने वर्ष 2012 में मणिपुर के लिए आईएलपी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था: सिंह

संप्रग सरकार ने वर्ष 2012 में मणिपुर के लिए आईएलपी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था: सिंह

संप्रग सरकार ने वर्ष 2012  में मणिपुर के लिए आईएलपी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था: सिंह
Modified Date: April 1, 2025 / 06:13 pm IST
Published Date: April 1, 2025 6:13 pm IST

इंफाल, एक अप्रैल (भाषा) मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मंगलवार को कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर 2012 में राज्य में ‘इनर लाइन परमिट’ (आईएलपी) व्यवस्था शुरू करने संबंधी संसद में पेश प्रस्ताव को खारिज करने का आरोप लगाया।

उन्होंने तत्कालीन सरकार पर अवैध प्रवासियों को खुलेआम खुश करने का आरोप लगाया।

‘एक्स’ पर एक पोस्ट में सिंह ने याद किया कि चार सितंबर, 2012 को संसद सत्र के दौरान मणिपुर के तत्कालीन लोकसभा सांसद डॉ. थोकचोम मेइन्या ने मणिपुर में आईएलपी का मुद्दा उठाया था।

 ⁠

सिंह ने दावा किया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने न केवल इस मुद्दे को टाला बल्कि मांग को खारिज कर दिया।

सिंह ने तत्कालीन गृह राज्य मंत्री श्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन के जवाब का हवाला देते हुए कहा, ‘‘बंगाल पूर्वी सीमांत विनियमन, 1873 के तहत ‘इनर लाइन परमिट’ प्रणाली केवल तीन पूर्वोत्तर राज्यों अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नगालैंड पर लागू होती है, जिसे मौजूदा विनियमन के अनुसार मणिपुर राज्य तक नहीं बढ़ाया जा सकता।’’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर की भावनाओं का सम्मान किया और 2019 में राज्य में आईएलपी की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा किया।

‘इनर लाइन परमिट’ (आईएलपी) एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जो संबंधित राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाता है, जो किसी भारतीय नागरिक को सीमित अवधि के लिए संरक्षित क्षेत्र में आने-जाने की अनुमति देता है।

भाषा संतोष नरेश

नरेश


लेखक के बारे में