महंगाई में बढ़ती दवाओं के बिल से हैं परेशान, तो ये सरकारी ऐप घटा देगा आपकी दवाओं का बिल, जानें क्या है प्रोसेस
अगर आप बढ़ते दवाओ के बिल से परेशान हैं तो ये खबर आपके काम की है। आपकी सारी परेशानियों को दूर कर सकती है। आपको महंगाई में राहत दे सकती है।
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नई दिल्ली। अगर आप बढ़ते दवाओ के बिल से परेशान हैं तो ये खबर आपके काम की है। आपकी सारी परेशानियों को दूर कर सकती है। आपको महंगाई में राहत दे सकती है। आपका बजट घटा सकती है। केंद्र सरकार ने हाल ही में उपभोक्ताओं पर ब्रांडेड दवाओं के बोझ को कम करने के लिए ‘फार्मा सही दाम’ नामक ऐप लॉन्च किया है। इस ऐप को आप Android और iOS दोनों के लिए playstore से डाउनलोड कर सकते हैं। यह राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण द्वारा उपभोक्ताओं को ब्रांडेड दवाओं के सस्ते लेकिन समान गुणों वाले विकल्प का सुझाव देने के लिए बनाया गया है।
नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) भारत में आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची के तहत आने वाली दवाओं की कीमत तय करती है। भारत में 355 दवाओं और उनके 882 फॉर्मूलेशन की कीमतें ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (DPCO) के तहत तय की गई हैं। अगर आपका डॉक्टर आपकी बीमारी के लिए ब्रांडेड दवा लिखता है तो आप ऐप में जाकर दवा का नाम टाइप करिए। फिर ऐप आपको ब्रांडेड दवाओं के किफायती विकल्प दिखाएगा जो आप ले सकते हैं। उनके अलग-अलग नाम हो सकते हैं लेकिन औषधीय गुण एक जैसे ही रहेंगे। उनका काम भी एक जैसा ही रहेगा। भारत में, दवाओं की लागत टूथपेस्ट या साबुन जैसी अन्य वस्तुओं की तरह आपूर्ति और मांग पर निर्भर करती है। भारत में 33% से अधिक दवाओं पर सरकार का नियंत्रण है। सरकार ने आवश्यक दवाओं की सूची बनाई है और उनकी कीमत को नियंत्रण में रखा है।
ऐसे समझिए गणित
उदाहरण के लिए, ऑगमेंटिन भारत में सबसे अधिक बिकने वाली एंटीबायोटिक दवाओं में से एक है। इस ब्रांडेड दवा की कीमत 10 टैबलेट के लिए लगभग 200 रुपये है। हालांकि, ऐप पर आपको कम से कम 10 विकल्प मिलेंगे जो 6 टैबलेट के लिए 50 रुपये में एक ही दवा प्रदान करते हैं। इसी तरह, पैन डी, जो अम्लता के खिलाफ उपयोग होती है, इसकी कीमत 15 कैप्सूल के लिए लगभग 199 रुपये है। लेकिन इसके विकल्प की कीमत 10 कैप्सूल के लिए 22 रुपये है।
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