लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग को लेकर तीन दिवसीय भूख हड़ताल शुरू
लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग को लेकर तीन दिवसीय भूख हड़ताल शुरू
करगिल, नौ अगस्त (भाषा) केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची का विस्तार करने समेत चार मांगों के समर्थन में शनिवार सुबह यहां तीन दिवसीय भूख हड़ताल शुरू हुई।
करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) और लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) द्वारा शहर के हुसैनी पार्क में आयोजित भूख हड़ताल ऐसे समय में हो रही है, जब दोनों संगठनों के प्रतिनिधि केंद्र द्वारा उनके साथ अगले दौर की वार्ता में देरी किए जाने से नाराज हैं।
केडीए और एलएबी पिछले पांच वर्षों से संयुक्त रूप से आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं और गृह मंत्रालय की उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) के साथ कई दौर की वार्ता कर चुके हैं।
केडीए और एलएबी द्वारा प्रदर्शन स्थल पर संयुक्त रूप से लगाए गए बैनर पर लिखा है, ‘हम एक साथ मिलकर एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं जहां लद्दाख, लद्दाख पर शासन करेगा। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने, संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने, लेह और करगिल क्षेत्रों के लिए अलग लोकसभा सीटों और एक लोक सेवा आयोग (पीएससी) की स्थापना के समर्थन में तीन दिवसीय भूख हड़ताल।’
केडीए के प्रमुख सदस्य हाथों में तख्तियां लिए हुए थे, जिनमें से कुछ पर लिखा था ‘औपनिवेशिक व्यवहार को समाप्त करो, लोकतंत्र, राज्य का दर्जा – छठी अनुसूची और मजबूत लद्दाख को बहाल करो’।
केडीए के सह-अध्यक्ष असगर अली करबलाई ने कहा, ‘‘आज भूख हड़ताल हमारी चार मांगों के समर्थन में हमारे आंदोलन का हिस्सा है। हमने पिछले चार वर्षों में अपनी मांगों के समर्थन में हड़तालें, उपवास, विरोध प्रदर्शन और पैदल मार्च (लद्दाख से दिल्ली तक) किए हैं। इन मांगों में से कुछ पर केंद्र के साथ चर्चा हो चुकी है, लेकिन कुछ पर अभी चर्चा होनी बाकी है।
उन्होंने कहा, ‘और इनमें से हमारी सबसे बुनियादी मांग राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची है।’
केडीए के नेता सज्जाद करगिली ने आरोप लगाया कि सरकार अगले दौर की वार्ता के अपने वादे को पूरा करने में विफल रही है। उन्होंने कहा, ‘इसलिए, एक बार फिर, हम शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि यह संदेश सरकार तक पहुंचेगा। लद्दाख के लोगों के साथ यह औपनिवेशिक व्यवहार समाप्त होना चाहिए।’
भाषा आशीष पवनेश
पवनेश

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