आदिवासी संगठन ने कोविड-19 से मरे शिक्षाविद को मणिपुर में दफनाने विरोध किया | Tribal organisation opposes burial of educationist who died from Covid-19 in Manipur

आदिवासी संगठन ने कोविड-19 से मरे शिक्षाविद को मणिपुर में दफनाने विरोध किया

आदिवासी संगठन ने कोविड-19 से मरे शिक्षाविद को मणिपुर में दफनाने विरोध किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:54 PM IST, Published Date : May 7, 2021/8:13 am IST

इम्फाल, सात मई (भाषा) मणिपुर के आदिवासी संगठन ने कोविड-19 से मरे शिक्षाविद नेहगिनपाओ किपगेन को यहां दफनाने का यह कहकर विरोध किया है कि वह राज्य के ‘मूल निवासी’ नहीं थे।

उल्लेखनीय है कि 46 वर्षीय नेहगिनपाओ हैदराबाद स्थित ओपी जिंदल विश्वविद्यालस के दक्षिण पूर्ण एशिया अध्ययन केंद्र के प्रमुख थे और दो मई को उनकी कोविड-19 की वजह से दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

यूनाइटेड नगा काउंसिल (यूएनसी) ने बयान जारी कर नेहगिनपाओ को कांगपोक्पी में दफनाने का ‘कानूनी आधार’ मांगा है।

बयान में कहा गया कि ‘विदेशी को दफनाने’ से गलत नजीर पेश होगी, साथ ही सवाल किया कि उन्हें कैसे भारतीय नागरिकता मिली।

थाडोउ स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने इसका जवाब देते हुए कहा कि नेहगिनपाओ का जन्म भले ही म्यांमा के तेइजांग गांव में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश मणिपुर में हुई थी।

एसोसिएशन ने कहा कि उनकी पत्नी चूड़ाचांदपुर की है जबकि उनके रिश्तेदार कांगपोक्पी के हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मणिपुर में की और भारत के विभिन्न हिस्सों में पढ़ाई की।

नेहगिनपाओ कुकी समुदाय के हैं।

वहीं, थाउोउस कुकी चिन समुदाय का हिस्सा है जो करीब दो शताब्दी से इस इलाके में बसा है, इसके बावजूद उनके रिश्तेदार म्यांमा में अब भी मिलते हैं।

कांगपोक्पी जिला प्रशासन ने नेहगिनपाओ के शव को ले जाने वाले वाहन को आधे घंटे तक रोकने की अनुमति दी ताकि लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सके, इसके बाद मांच मई को जिले के लेइकोट इलाके में उन्हें दफना दिया गया।

भाषा धीरज शाहिद

शाहिद

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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