आदिवासियों ने कुर्मियों की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में ‘हुंकार’ रैली निकाली
आदिवासियों ने कुर्मियों की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में ‘हुंकार’ रैली निकाली
रांची, 17 अक्टूबर (भाषा) रांची में विभिन्न आदिवासी समूहों के हजारों लोगों ने कुर्मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में शुक्रवार को रैली निकाली।
धुर्वा के प्रभात तारा मैदान में आदिवासी बचाओ मोर्चा के तत्वावधान में ‘आदिवासी हुंकार महारैली’ का आयोजन किया गया।
राज्य के विभिन्न हिस्सों से 33 समुदायों के आदिवासियों ने रैली में भाग लिया।
पूर्व मंत्री और आदिवासी बचाओ मोर्चा की संयोजक गीताश्री उरांव ने कहा, ‘‘आज की रैली में कुल 33 आदिवासी समुदायों ने हिस्सा लिया और कुर्मी समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ अपनी एकता का प्रदर्शन किया।’’
उन्होंने कहा कि झारखंड के कुर्मी कभी आदिवासी नहीं बन सकते। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा पेसा कानून लागू करने में विफलता के लिए कुर्मियों को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि कई ऐतिहासिक दस्तावेज़ इस बात की पुष्टि करते हैं कि वे कभी आदिवासी समुदाय नहीं थे। उरांव ने दावा किया कि सच्चाई जानने के बाद उनके पूर्वजों ने आदिवासी समुदाय से दूरी बना ली थी।
उन्होंने कहा कि कुर्मियों ने कभी शिवाजी के वंशज होने का दावा किया था लेकिन अब वे सरकार पर उन्हें आदिवासियों में शामिल करने के लिए गलत दबाव डाल रहे हैं जिसका आदिवासी पुरज़ोर विरोध करते रहेंगे। उन्होंने कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष से उन दस्तावेज़ों की गहन समीक्षा करने का भी आग्रह किया।
आदिवासी नेताओं लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा कि कुर्मियों की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग गलत है और यह राज्य में आदिवासी अधिकारों पर अतिक्रमण है।
रैली में राज्य के विभिन्न जिलों से आदिवासी नेताओं, युवाओं और महिलाओं ने भाग लिया।
इससे पहले 12 अक्टूबर को आदिवासी अस्तित्व बचाओ मोर्चा के बैनर तले कुर्मी समुदाय को एसटी का दर्जा देने की मांग को लेकर आदिवासी समुदाय के लोग मोरहाबादी में इकट्ठा हुए थे।
आदिवासी कुर्मी समाज (एकेएस) के बैनर तले 20 सितंबर को हजारों प्रदर्शनकारियों ने राज्य भर के विभिन्न स्टेशनों पर रेलवे पटरियों पर धरना दिया और कुर्मी समुदाय को एसटी का दर्जा देने और कुर्माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की अपनी मांग की।
इस आंदोलन के कारण 100 से ज्यादा ट्रेन रद्द कर दी गईं या उनके मार्ग में परिवर्तन किया गया या उन्हें समय से पहले ही रोक दिया गया।
आदिवासी समूहों ने कुर्मी समुदाय द्वारा रेल रोको अभियान का विरोध किया था।
भाषा यासिर माधव
माधव

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