त्रिपुरा: पर्यटकों को लुभाने के लिए तैयार एक हजार साल पुराना पुरातत्व स्थल पिलक

त्रिपुरा: पर्यटकों को लुभाने के लिए तैयार एक हजार साल पुराना पुरातत्व स्थल पिलक

त्रिपुरा: पर्यटकों को लुभाने के लिए तैयार एक हजार साल पुराना पुरातत्व स्थल पिलक
Modified Date: July 15, 2023 / 03:40 pm IST
Published Date: July 15, 2023 3:40 pm IST

(तस्वीर के साथ)

(जयंत भट्टाचार्य)

अगरतला, 15 जुलाई (भाषा) त्रिपुरा स्थित एक हजार वर्ष से ज्यादा पुराना पुरातात्विक स्थल ‘पिलक’ बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए तैयार है। दरअसल राज्य सरकार ने पिलक को दो अन्य स्थलों के साथ मिलाकर एक ऐतिहासिक पर्टयन सर्किट के रूप में विकसित करने की योजना शुरू की है।

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राजधानी अगरतला से करीब 100 किलोमीटर दूर जोलैबाड़ी में स्थित पिलक पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश), त्रिपुरा और रकाइन (म्यांमार) क्षेत्र के त्रि-मिलन बिंदु पर हिंदू-बौद्ध स्थलों की श्रृंखला का हिस्सा है।

राज्य के पर्यटन विभाग के निदेशक टी.के. दास ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘यह त्रिपुरा के दक्षिण जिले में मौजूद एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जिसे देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग देखने आते हैं। हमने एक पुरातात्विक पर्यटक सर्किट तैयार किया है, जिसमें चबीमुरा, गोमती जिले का उदयपुर और दक्षिण त्रिपुरा जिले का पिलक शामिल है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह एक पैकेज टूर है, जो तीनों स्थलों को जोड़ रहा है।’’

उन्होंने बताया कि करीब 200 लोग रोजाना पिलक घूमने आते हैं।

यह पर्यटन सर्किट अगरतला से शुरू होता है और पिलक को उदयपुर के साथ जोड़ता है। उदयपुर पूर्वोत्तर राज्य में मंदिरों का शहर है, जहां 51 शक्तिपीठों में से एक त्रिपुरेश्वरी काली मंदिर स्थित है। भुवनेश्वरी काली मंदिर, जिसका जिक्र रव्रींद्रनाथ टैगोर के उपन्यास ‘राजर्षि’ में है, वह भी उदयपुर में स्थित है।

इस सर्किट में चबीमुरा को शामिल किया गया है, जो कि गोमती नदी के किनारे स्थित चट्टानों पर उकेरी गई छवियों के लिए जाना जाता है।

दिवंगत लेखक रत्न दास ने अनुसंधान के आधार पर लिखी अपनी किताब में कहा था कि यह स्थल (पिलक) आठवीं सदी में एक बड़े हिंदू-बौद्ध स्थल के रूप में उभरा था।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने वर्ष 1999 में पिलक को संरक्षण में ले लिया। भाषा जितेंद्र धीरज

धीरज


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