त्रिपुरा अब घुसपैठियों के लिए ‘सुरक्षित क्षेत्र’ नहीं रहा: मुख्यमंत्री माणिक साहा

त्रिपुरा अब घुसपैठियों के लिए 'सुरक्षित क्षेत्र' नहीं रहा: मुख्यमंत्री माणिक साहा

त्रिपुरा अब घुसपैठियों के लिए ‘सुरक्षित क्षेत्र’ नहीं रहा: मुख्यमंत्री माणिक साहा
Modified Date: July 3, 2025 / 09:12 pm IST
Published Date: July 3, 2025 9:12 pm IST

अगरतला, तीन जुलाई (भाषा) त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने बृहस्पतिवार को कहा कि सुरक्षा एजेंसियों की सक्रिय कार्रवाई के चलते राज्य अब घुसपैठियों के लिए “सुरक्षित स्थान” नहीं रह गया है।

भाजपा की सहयोगी पार्टी टिपरा मोथा पार्टी (टीएमपी) ने राज्य में व्यापक घुसपैठ विरोधी अभियान शुरू किया है, जिसके मद्देनजर साहा ने यह टिप्पणी की।

राजभवन में संवाददाताओं से बातचीत में साहा ने कहा, “जिस दिन बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने छात्र विद्रोह और हिंसा के बाद अपना देश छोड़ा, मैंने सुरक्षा एजेंसियों से मुलाकात की और उन्हें सीमा पार से किसी भी घुसपैठ को रोकने के निर्देश दिए।”

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उन्होंने कहा, “त्रिपुरा अब घुसपैठियों के लिए ‘सुरक्षित क्षेत्र’ नहीं रह गया है। सुरक्षा एजेंसियों ने घुसपैठ के खिलाफ व्यापक अभियान चलाए हैं। बांग्लादेश को पहले ही कड़ा संदेश भेजा जा चुका है – जाली आधार कार्ड का उपयोग करके त्रिपुरा में प्रवेश करना और रहना संभव नहीं है।”

टीएमपी के अभियान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार घुसपैठ रोकने के लिए पहले से ही कार्रवाई कर रही है।

उन्होंने कहा, “अगर उन्हें (टीएमपी को) अब भी चिंता है, तो हम साथ बैठकर उन पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं।”

एक वायरल वीडियो के बारे में पूछे जाने पर साहा ने जवाब दिया, “सत्य सत्य है… कोई भी सत्य को तोड़-मरोड़ नहीं सकता।”

वीडियो में टिपरा मोथा पार्टी के एक कैबिनेट मंत्री को कथित तौर पर पार्टी कार्यकर्ताओं से “घुसपैठियों को लाठियों से भगाने” का आग्रह करते हुए सुना गया है।

दक्षिण त्रिपुरा के सबरूम में एक पार्टी कार्यक्रम में वन मंत्री अनिमेष देबबर्मा को पार्टी कार्यकर्ताओं से यह कहते हुए सुना गया कि “बांग्लादेशियों को लाठी से मारकर उनके देश वापस भेज दो।”

इस बीच, टीएमपी के एक अन्य विधायक रंजीत देबबर्मा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर राज्य में अवैध घुसपैठियों की पहचान करने और उन्हें निर्वासित करने के लिए केंद्र के हस्तक्षेप की मांग की है।

भाषा जोहेब अविनाश

अविनाश


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