विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के खिलाफ उद्धव गुट शीर्ष अदालत पहुंचा

विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के खिलाफ उद्धव गुट शीर्ष अदालत पहुंचा

विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के खिलाफ उद्धव गुट शीर्ष अदालत पहुंचा
Modified Date: January 15, 2024 / 05:53 pm IST
Published Date: January 15, 2024 5:53 pm IST

नयी दिल्ली, 15 जनवरी (भाषा) जून 2022 में विभाजन के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के गुट को “वास्तविक राजनीतिक दल” घोषित करने के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के आदेश को चुनौती देते हुए शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की।

विधानसभाध्यक्ष ने शिंदे सहित सत्तारूढ़ खेमे के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की ठाकरे गुट की याचिका को भी खारिज कर दिया था।

अयोग्यता याचिकाओं पर अपने फैसले में 10 जनवरी को विधानसभा अध्यक्ष ने प्रतिद्वंद्वी खेमों के किसी भी विधायक को अयोग्य नहीं ठहराया था।

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इस फैसले ने मुख्यमंत्री के रूप में शिंदे की स्थिति को और मजबूत कर दिया। शिंदे ने 18 महीने पहले ठाकरे के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था।

गर्मियों में लोकसभा चुनाव और 2024 की दूसरी छमाही में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों से पहले सत्तारूढ़ गठबंधन में इस फैसले से उनकी राजनीतिक ताकत बढ़ गई है।

महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार समूह) भी शामिल हैं।

नार्वेकर ने कहा था कि कोई भी पार्टी नेतृत्व किसी पार्टी के भीतर असंतोष या अनुशासनहीनता को दबाने के लिए संविधान की 10वीं अनुसूची (दलबदल विरोधी कानून) के प्रावधानों का उपयोग नहीं कर सकता है।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि जून 2022 में जब पार्टी विभाजित हुई, तो शिंदे समूह को शिवसेना के कुल 54 विधायकों में से 37 का समर्थन प्राप्त था।

निर्वाचन आयोग ने 2023 की शुरुआत में शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को ‘शिवसेना’ नाम और ‘तीर-धनुष’ चुनाव चिह्न दिया था।

शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और प्रतिद्वंद्वी ठाकरे गुट द्वारा एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अपने आदेश में नार्वेकर ने कहा था कि शिवसेना (यूबीटी) के सुनील प्रभु 21 जून 2022 (जब पार्टी विभाजित हुई) से सचेतक नहीं रहे और शिंदे गुट के विधायक भरत गोगावले अधिकृत सचेतक बने।

नार्वेकर ने कहा था, “विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली सभी याचिकाएं खारिज की जाती हैं। किसी भी विधायक को अयोग्य नहीं ठहराया जा रहा है।”

भाषा प्रशांत दिलीप

दिलीप


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