नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (भाषा) कांग्रेस ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी), राष्ट्रीय प्रौद्यागिकी संस्थानों (एनआईटी) और भारतीय सूचना प्रौद्यागिकी संस्थानों (आईआईआईटी) में ‘प्लेसमेंट’ में गिरावट के दावे वाली एक खबर को लेकर मंगलवार को आरोप लगाया कि बेरोजगारी तथा वेतन स्थिरता केवल अनौपचारिक क्षेत्र और ग्रामीण आबादी को प्रभावित नहीं कर रहे हैं, बल्कि विशिष्ट शैक्षणिक संस्थानों में भी संकट पैदा कर रहे हैं।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि शिक्षा, महिला, बाल, युवा एवं खेल संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने उच्च शिक्षा विभाग की अनुदान मांगों पर अपनी 364वीं रिपोर्ट में भारत के शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों जैसे आईआईटी, एनआईटी और आईआईआईटी में प्लेसमेंट में आई चिंताजनक गिरावट को दर्ज किया है
रमेश ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘आज एक प्रमुख अख़बार ने और आईआईटी में प्लेसमेंट के चिंताजनक रुझानों पर और भी विस्तार से एक खबर प्रकाशित की है।’’
कांग्रेस नेता ने इस खबर का हवाला देते हुए दावा किया कि वर्ष 2021-22 से 2023-24 के बीच, भारत के 23 में से 22 आईआईटी में प्लेसमेंट में गिरावट दर्ज की गई तथा इनमें से 15 आईआईटी में प्लेसमेंट में गिरावट 10 प्रतिशत से अधिक थी।
रमेश का कहना है, ‘‘साल 2021-22 में प्लेसमेंट प्रक्रिया में शामिल हुए आईआईटी के 90.43 प्रतिशत बीटेक छात्रों को नौकरी मिल गई थी, जबकि 2023-24 में केवल 80.25 प्रतिशत छात्रों को ही नौकरी मिली। 2023-24 में, 25 में से 23 आईआईआईटी में प्लेसमेंट की दर 2021-22 की तुलना में घटी। इनमें से 16 संस्थानों में प्लेसमेंट में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गई।’’
उन्होंने दावा किया कि 2022-23 और 2023-24 के बीच, 31 एनआईटी में से 27 एनआईटी में इंजीनियरिंग स्नातकों को दिए गए औसत वेतन पैकेज में गिरावट दर्ज की गई तथा इनमें से तीन संस्थानों में औसत पैकेज में तीन लाख रुपये प्रतिवर्ष से अधिक की गिरावट देखी गई।
रमेश ने कहा, ‘‘आईआईटी देश के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थान हैं, जहां सबसे प्रतिस्पर्धी प्रवेश प्रक्रिया होती है, जो देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक और छात्र आकर्षित करती है। इंजीनियरिंग को वैसे भी सबसे अधिक नौकरी-योग्य डिग्रियों में से एक माना जाता है। अगर आईआईटी जैसे संस्थानों से हर पांच में से एक इंजीनियर नौकरी पाने में असमर्थ है, तो इससे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि देश के बाकी पढ़े-लिखे युवाओं की बड़ी आबादी को रोजगार कैसे मिलेगा।’’
उन्होंने दावा किया कि एनआईटी और आईआईआईटी जैसे संस्थानों में भी प्लेसमेंट में गिरावट देखी जा रही है, जो देश में बड़े पैमाने पर नौकरी के बाजार में ठहराव की ओर इशारा करता है।
रमेश ने कहा, ‘‘कांग्रेस कई वर्षों से बड़े पैमाने पर बेरोजगारी और वेतन स्थिरता के मुद्दे उठाती आ रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्लेसमेंट डेटा यह साबित करता है कि यह संकट केवल अनौपचारिक क्षेत्र और ग्रामीण आबादी को प्रभावित नहीं कर रहे हैं, बल्कि हमारे सबसे विशिष्ट शैक्षणिक संस्थानों में भी संकट पैदा कर रहे हैं।
भाषा हक हक पवनेश
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