नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) के बंद होने से भारत पर दूरगामी प्रभाव पड़ने की आशंका है और विशेषज्ञों ने इससे स्वास्थ्य, जल, सफाई और स्वच्छता तथा जलवायु लचीलेपन से संबंधित प्रमुख कार्यक्रमों के प्रभावित होने की चेतावनी दी है।
हालांकि, एक विशेषज्ञ ने कहा कि भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था कुछ तात्कालिक प्रभावों की भरपाई कर सकती है, लेकिन सूडान, यूक्रेन और युगांडा जैसे अन्य देशों को इससे अधिक नुकसान होगा।
विकास क्षेत्र में कार्यरत एक गैर सरकारी संगठन की प्रमुख ने कहा कि यूएसएआईडी के बंद होने से ‘‘बहुत बड़ा प्रभाव’’ पड़ेगा, क्योंकि यह एजेंसी कई मुद्दों से निपटने में सबसे आगे रही है।
उन्होंने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, ‘‘वे टीबी, मातृ स्वास्थ्य और स्वच्छता पर काम करने में अग्रणी रहे हैं। उन्होंने कई अभिनव कार्यक्रम शुरू किए हैं। उन्होंने ‘डब्ल्यूएएसएच’ (जल, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य) के तहत स्थानीय विकास नामक एक कार्यक्रम बनाया है। हस्तक्षेप की प्रकृति के संदर्भ में भी इसका बहुत बड़ा प्रभाव होने वाला है।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दीर्घकालिक परिवर्तन के लिए निरंतर सहयोग और नेतृत्व की आवश्यकता होती है, जो यूएसएआईडी ने प्रदान किया।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप एक काम बहुत अच्छी तरह से करते हैं, लेकिन संबंधित क्षेत्रों को मजबूत नहीं करते हैं, तो आप अल्पकालिक लाभ देख सकते हैं, लेकिन वे स्थायी नहीं होंगे। समग्र परिवर्तन के लिए यूएसएआईडी जैसे दाताओं की आवश्यकता होती है। वह नेतृत्व भी प्रदान कर रहा था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उनसे एक उप-अनुदान मिला था, कभी प्रत्यक्ष अनुदान नहीं मिला, लेकिन वे कुछ ऐसा संचालित कर रहे थे, जो वास्तव में प्रजनन स्वास्थ्य में मदद कर रहा था। हम जमीनी स्तर पर भी काम करते हैं और हमने देखा कि इसका जमीनी स्तर पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।’’
अरबपति एलन मस्क ने हाल ही में घोषणा की थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एजेंसी को बंद करने पर सहमति जतायी है।
स्वास्थ्य क्षेत्र के एक गैर सरकारी संगठन के संस्थापक के अनुसार, हाल के वर्षों में यूएसएआईडी अनुदान पहले से ही कम हो रहे थे, एजेंसी नए कार्यक्रम शुरू करने के बजाय मौजूदा कार्यक्रमों को बनाए रखने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही थी।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि ये कार्यक्रम विफल हो जाते हैं या धीमे हो जाते हैं, तो समुदाय हतोत्साहित महसूस करते हैं। हम विफलता बर्दाश्त नहीं कर सकते।’’
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुटरेजा ने यूएसएआईडी को बंद करने की आलोचना की।
मुटरेजा ने कहा, ‘‘एलन मस्क का यह बेबुनियाद दावा कि यूएसएआईडी एक ‘आपराधिक संगठन’ है, न केवल बेतुका है, बल्कि खतरनाक भी है। दशकों से, यूएसएआईडी मानवीय प्रयासों में सबसे आगे रहा है, जिसने दुनिया की कुछ सबसे कमजोर आबादी को जीवन रक्षक सहायता प्रदान की है।’’
उन्होंने कहा,‘‘ इस तरह की लापरवाहीपूर्ण बयानबाजी से इसे खारिज करना उन लाखों लोगों की अनदेखी करना है जो इसके कार्यक्रमों पर निर्भर हैं और विकास में अग्रणी के रूप में अमेरिका की विश्वसनीयता को कम करता है।’’
उन्होंने चेतावनी दी कि हालांकि भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था कुछ तात्कालिक प्रभावों की भरपाई करने में सक्षम हो सकती है, लेकिन यूएसएआईडी के समर्थन पर निर्भर अन्य राष्ट्रों – जैसे सूडान, यूक्रेन और युगांडा – को नुकसान होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘सूडान, यूक्रेन और युगांडा से लेकर आइवरी कोस्ट तक दुनिया की कुछ सबसे कमजोर आबादी में मातृ और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं बाधित होंगी या समाप्त हो जाएंगी। अफगानिस्तान, गाजा, यूक्रेन और अन्य संकटग्रस्त क्षेत्रों में लाखों महिलाएं अब अनिश्चितता का सामना कर रही हैं।’’
विश्व के 10 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से नौ भारत में स्थित हैं, इसलिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने को समर्थन देने में यूएसएआईडी की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
भाषा अमित नरेश
नरेश
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)