Anti-Conversion Law Amendments: अब धर्मान्तरण करने वालों की खैर नहीं, कानून में बदलाव.. भुगतनी होगी आजीवन कारावास की सजा, भारी जुर्माना भी..

इस विधेयक के ज़रिए चार साल पुराने धर्मांतरण विरोधी कानून - उत्तराखंड 'धर्म स्वतंत्रता' अधिनियम, 2018 - को और भी कठोर, सख्त और मज़बूत बनाया गया।

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  • Publish Date - August 14, 2025 / 08:15 AM IST,
    Updated On - August 14, 2025 / 08:31 AM IST

Anti-Conversion Law Amendments in Uttarakhand || Image- IBC24 News File

HIGHLIGHTS
  • अवैध धर्मांतरण पर आजीवन कारावास तक की सजा संभव।
  • डिजिटल माध्यम से धर्म प्रचार पर अब कानूनी प्रतिबंध लागू।
  • प्रलोभन, धोखाधड़ी से धर्मांतरण अपराध की श्रेणी में शामिल।

Anti-Conversion Law Amendments in Uttarakhand: देहरादून: उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने अवैध धर्मांतरण पर कड़ा रूख अपनाते हुए बुधवार को उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक,2025 को मंजूरी दे दी जिसके तहत गंभीर मामलों में आजीवन कारावास तक की सजा और भारी जुर्माने जैसे प्रावधान जोड़े गए हैं । आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस विधेयक को मंजूरी दी गयी। उन्होंने बताया कि विधेयक के तहत अवैध धर्मांतरण पर कड़े दंड के अलावा डिजिटल माध्यम से प्रचार पर रोक और पीड़ितों के संरक्षण के कठोर प्रावधान जोड़े गए हैं।

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विधेयक में प्रलोभन की परिभाषा को विस्तृत करते हुए उपहार, नकद/वस्तु लाभ, रोजगार, निःशुल्क शिक्षा, विवाह का वादा, धार्मिक आस्था को आहत करना या दूसरे धर्म का महिमामंडन, सभी को अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है। इसमें डिजिटल साधनों पर रोक लगाते हुए सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप या किसी भी ऑनलाइन माध्यम से धर्मांतरण के वास्ते प्रचार करने या उकसाने जैसे कार्यों को दंडनीय बनाए जाने का प्रावधान है। विधेयक के तहत कठोर सजा का प्रावधान है जिसमें सामान्य उल्लंघन पर तीन से 10 वर्ष, संवेदनशील वर्ग से जुड़े मामलों में पांच से 14 वर्ष तथा गंभीर मामलों में 20 वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान है।

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Anti-Conversion Law Amendments in Uttarakhand: छद्म पहचान बनाकर या धर्म छिपाकर विवाह पर सख्त दंड तथा पीड़ित के संरक्षण, पुनर्वास, चिकित्सा, यात्रा व भरण-पोषण व्यय की व्यवस्था को विधेयक में शामिल किया गया है। सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार के अनुसार, यह कानून नागरिकों के धार्मिक अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए, धोखाधड़ी, प्रलोभन या दबाव से होने वाले धर्मांतरण पर रोक लगाएगा और सामाजिक सद्भाव को बनाए रखेगा।

❓ प्रश्न 1: उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2025 का मुख्य उद्देश्य क्या है?

उत्तर: इस विधेयक का उद्देश्य धोखाधड़ी, प्रलोभन या दबाव द्वारा किए जाने वाले अवैध धर्मांतरण को रोकना है, ताकि नागरिकों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा की जा सके और सामाजिक सद्भाव बना रहे।

❓ प्रश्न 2: इस विधेयक के अंतर्गत क्या-क्या कड़े दंड निर्धारित किए गए हैं?

उत्तर: सामान्य मामलों में: 3 से 10 वर्ष की सजा संवेदनशील वर्गों (जैसे अनुसूचित जाति/जनजाति) के मामलों में: 5 से 14 वर्ष गंभीर मामलों में: 20 वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा साथ ही, भारी जुर्माने का भी प्रावधान है।

❓ प्रश्न 3: क्या डिजिटल माध्यमों से धर्मांतरण प्रचार करना भी अपराध है?

उत्तर: हाँ, सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप्स या किसी भी ऑनलाइन माध्यम से धर्मांतरण के प्रचार, प्रेरणा या उकसावे को अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है और इसके लिए दंड का प्रावधान किया गया है।

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