विहिप की दिल्ली में धर्मसभा, कहा- जन्मभूमि अपरिवर्तनीय, नहीं चाहिए किसी आक्रमणकारी का कोई प्रतीक

विहिप की दिल्ली में धर्मसभा, कहा- जन्मभूमि अपरिवर्तनीय, नहीं चाहिए किसी आक्रमणकारी का कोई प्रतीक

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  • Publish Date - December 9, 2018 / 08:22 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:39 PM IST

नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र 11 दिसंबर से शुरु होने जा रहा है। इससे दो दिन पहले रविवार को विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने की मांग लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में धर्मसभा की। इस धर्मसभा में विहिप के बड़े पदाधिकारियों के साथ कई संत भी मौजूद रहे।

धर्मसभा को साध्वी ऋतंभरा, महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, जगतगुरु हंसदेवाचार्य महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद महाराज, आरएसएस के सुरेश (भैय्याजी) जोशी, आलोक कुमार और बीएस कोकजे ने संबोधित किया। आरएसएस के सरकार्यवाहक भैय्याजी जोशी ने कहा कि हम चाहते हैं, जो भी हो शांति से हो। संघर्ष करना होता तो इंतजार नहीं करते। इसलिए सभी लोग इसमें सकारात्मक पहल करें। हमारा किसी के साथ संघर्ष नहीं, राम राज्य में ही शांति आती है।

उन्होंने कहा कि न्यायालय की प्रतिष्ठा बनी रहनी चाहिए। जिस देश में न्यायालय में विश्वास घटता है, उसका उत्थान होना असंभव है। इसलिए न्यायालय को भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। देश पर हमला करने वालों के निशान मिटने चाहिए। जोशी ने कहा कि ‘भगवान राम का मंदिर भविष्य में रामराज्य का आधार बनेगा। अयोध्या में भगवान राम के दर्शन करने वाले आज दुखी होते हैं। भक्त मंदिर में भगवान के दर्शन करना चाहते हैं। सब चाहते हैं कि राम भव्य मंदिर में रहें। 1992 में काम अधूरा रह गया। ढांचा गिरा पर मंदिर नहीं बना। संविधान का रास्ता बाकी है। हमारी यही आकांक्षा है कि कानून बनाते हुए राम मंदिर की सभी बाधाएं दूर हों। न्यायालय से भी यही अपेक्षा है कि वह जन्मभूमि का सम्मान करेगा।

वहीं विहिप उपाध्यक्ष चंपतराय ने कहा कि जन्मभूमि अपरिवर्तनीय है। हम और आप सभी मिलकर अपनी जन्मभूमि नहीं बदल सकते हैं। जिस गांव और झोपड़ी में हम पैदा हुए, वही हमारी जन्मभूमि है. हम भले शहर आकर अट्टालिकाओं में रहने लगे, जन्मभूमि हमारी वही रहेगी। उन्होंने अगर इंडिया गेट से जॉर्ज पंचम हटाए जा सकते हैं, विक्टोरिया गायब हो सकती है, इरविन हॉस्पिटल, विलिंगटन हॉस्पिटल, औरंगजेब रोड के नाम बदले जा सकते हैं, सोमनाथ पुनर्निमाण का संकल्प भारत की राजसत्ता 1950 में कर सकती है, तो आज की राजसत्ता भी संकल्प करे। हिंदुस्तान की तरुणाई इस राजसत्ता को बल प्रदान करने के लिए यहां आई है। आगे बढ़ो, कानून बनाओ, अयोध्या हिंदुओं का तीर्थ है, मोक्ष नगरी है, ये हिंदुओं का ही तीर्थ रहेगा, किसी आक्रमणकारी का कोई प्रतीक नहीं चाहिए।

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उन्होंने कहा, ‘देश की संस्थाओं को गुलामी अस्वीकार करनी ही होगी। हमें कानून से मंदिर चाहिए। सरकार और न्यायपालिका का धर्म है कि वो जिस देश में रहते हैं, उसके सम्मान की रक्षा करें। उसके गौरव में वृद्धि करे, जिन आक्रमणकारियों ने देश पर हमले किए, उनकी निशानियां हटाओ। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने भगवान राम के जन्मस्थान के 3 टुकड़े कर दिए। हमें तीन टुकड़े नहीं, पूरा स्थान चाहिए। हम एक इंच जमीन नहीं देंगे। हमें ऐसा कानून चाहिए, जिसमें भगवान राम की जन्मभूमि व लीला भूमि हिंदूओं को प्राप्त हो। हमें बंटवारा स्वीकार नहीं है।

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