सुप्रीम कोर्ट के चारों जजों की प्रेस कांफ्रेंस पर देखिए कानूनविदों की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के चारों जजों की प्रेस कांफ्रेंस पर देखिए कानूनविदों की प्रतिक्रिया
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट और लोकतंत्र को बचाने की देश से चार वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीशों की अपील पर प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर एस सोढ़ी ने कहा है कि उनके ख्याल से प्रेस कांफ्रेंस में शामिल हुए सभी चार जजों पर महाभियोग चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें अब वहां बैठकर और फैसले सुनाने का कोई काम नहीं है। ये ट्रेड यूनियन वाला रवैया गलत है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है, ये बात वो नहीं कह सकते, हमारे पास संसद है, अदालतें हैं, पुलिस है।
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I think all 4 judges should be impeached, they have no business to sit there and deliver verdicts anymore. This trade unionism is wrong. Democracy in danger is not for them to say, we have parliament, courts, police functioning: Justice R.S. Sodhi (Retd) pic.twitter.com/bBFW8v5rkv
— ANI (@ANI) January 12, 2018
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जस्टिस सोढ़ी ने कहा कि चार जजों की शिकायत मुद्दों पर नहीं है बल्कि प्रशासनिक विषय को लेकर है। वे सिर्फ 4 हैं, वहां 23 और (न्यायाधीश) हैं। चार एक साथ जुटकर मुख्य न्यायाधीश की छवि धूमिल करते हैं, ये बचकाना और अपरिपक्व रवैया है।
Issues don’t matter. It is their complaint on administrative matter. They are only 4, there are 23 others. 4 get together and show the Chief Justice in a poor light. It is immature & childish behaviour: Justice R S Sodhi (retd) on press conference pic.twitter.com/jGFOtMCp4d
— ANI (@ANI) January 12, 2018
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मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के बाद सर्वोच्च न्यायालय में सबसे सीनियर चार न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे चल्मेश्वर, रंजन गोगोई, मदन लोकुर और कुरियन जोसेफ ने आज इतिहास में पहली बार एक साथ प्रेस कांफ्रेंस की है। इस प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को लिखी सात पेज की अपनी चिट्ठी जारी की और आरोप लगाया कि पिछले दो महीने से सुप्रीम कोर्ट में जिस तरह से काम हो रहा है, वो सही नहीं है और देश से लोकतंत्र, न्याय को बचाने की अपील की।
#FLASH Judges J.Chelameswar, Ranjan Gogoi, Madan Lokur and Kurian Joseph release 7 page letter, that they wrote to the Chief Justice of India Dipak Misra. pic.twitter.com/9mtsVIWrIH
— IBC24 (@IBC24News) January 12, 2018
मशहूर वरिष्ठ अधिवक्ता उज्ज्वल निकम ने इसे न्यायपालिका के लिए काला दिन करार दिया है। उन्होंने कहा है कि इस प्रेस कांफ्रेंस से गलत परंपरा की शुरुआत हुई है, अब आम आदमी सभी न्यायिक आदेशों को संदेह की नज़र से देखेगा, हर फैसले पर सवाल उठेंगे।
This is a black day for Judiciary. Today’s press conference would cause a bad precedent. From now on every common man could look at all judicial order with suspicion. Every judgement will be questioned : Ujjwal Nikam, senior lawyer pic.twitter.com/lIPabrRNjS
— ANI (@ANI) January 12, 2018
हालांकि सुब्रमण्यम स्वामी की राय अलग है, उन्होंने कहा है कि हम इन जजों की आलोचना नहीं कर सकते, इनकी विशिष्ट पहचान है और इन्होंने अपने कानूनी करियर के दौरान काफी बलिदान किया है। हमें इनका सम्मान करना चाहिए। प्रधानमंत्री ये सुनिश्चित करें कि चारों जजों और भारत के मुख्य न्यायाधीश और पूरा सुप्रीम कोर्ट एक मत होकर आगे काम करे।
We can’t criticize them, they are men of great integrity & have sacrificed a lot of their legal career, where they could’ve made money as senior counsels. We must respect them. PM must ensure that the 4 judges & CJI, in fact whole SC come to one opinion & proceed further: S.Swamy pic.twitter.com/dYj6MJPhkO
— ANI (@ANI) January 12, 2018
सुप्रीम कोर्ट के प्रख्यात वकील और मशहूर कानूनविद के टी एस तुलसी ने कहा है कि ये स्तब्ध करने वाला है। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से ऐसे कारण रहे होंगे जिसने वरिष्ठतम जजों को ये कदम उठाने पर मजबूर किया। जब वे प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे, उस वक्त उनके चेहरों पर दर्द के भाव कोई भी देख सकता है।
It’s quite shocking. There must have been compelling reasons for the senior-most judges to have adopted this course of action. One could see pain on their faces while they were speaking: KTS Tulsi, advocate SC on 4 judges’ letter to CJI pic.twitter.com/hd86rdR040
— ANI (@ANI) January 12, 2018
सुप्रीम कोर्ट के ही वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि ये काफी गंभीर घटनाक्रम है, जिससे मुख्य न्यायाधीश पर बड़ा धब्बा लगा है।
“It is certainly a very serious development which has cast a huge shadow on the Chief Justice. Somebody had to confront the situation, where CJ is blatantly misusing his powers, hence the unprecedented step”: Prashant Bhushan, lawyer & politician pic.twitter.com/Mrv5BZPjSk
— ANI (@ANI) January 12, 2018
सूत्रों के हवाले से खबर ये भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अहम घटनाक्रम को गंभीरता से लेते हुए कानूनमंत्री रविशंकर प्रसाद को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
वेब डेस्क, IBC24

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