बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण से बड़े पैमाने पर मतदाता मताधिकार से वंचित हो जाएंगे: भाकपा (माले)

बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण से बड़े पैमाने पर मतदाता मताधिकार से वंचित हो जाएंगे: भाकपा (माले)

बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण से बड़े पैमाने पर मतदाता मताधिकार से वंचित हो जाएंगे: भाकपा (माले)
Modified Date: June 25, 2025 / 10:18 pm IST
Published Date: June 25, 2025 10:18 pm IST

नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन ने बुधवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखकर बिहार में मतदाता सूची का ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ करने के निर्णय को लेकर विरोध दर्ज कराया और कहा कि इससे बहुत सारे लोगों को मताधिकार से वंचित होना पड़ सकता है।

वामपंथी दल के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने पत्र में कहा कि जो लोग आयोग द्वारा तय समय सीमा के दौरान आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने में सक्षम नहीं होंगे तो उन्हें मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा ।

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को उम्मीद है कि सिर्फ एक महीने के भीतर बिहार के 7.8 करोड़ से अधिक मतदाताओं की घर-घर जाकर पूरी गणना कर ली जाएगी और सभी से भरे हुए गणना फॉर्म एकत्र कर लिए जाएंगे।

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उन्होंने कहा कि 2003 की मतदाता सूची में लगभग पांच करोड़ मतदाता थे और बाद में जोड़े गए मतदाताओं को पहचान प्रमाणों की एक पूरी श्रृंखला प्रस्तुत करनी होगी।

भट्टाचार्य ने कहा, ‘जो मतदाता किसी कारण से इस समय सीमा के दौरान आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने में सक्षम नहीं होंगे, उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा और इस प्रकार वे अपने मतदान के अधिकार से वंचित हो जाएंगे।’

बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर निर्वाचन आयोग ने राज्य में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण का निर्देश जारी किया है। इसके तहत अयोग्य नामों को हटाते हुए सभी पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल किया जा सकेगा।

निर्वाचन आयोग पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मदद के लिए मतदाताओं के आंकड़ों में हेराफेरी करने के विपक्षी दलों द्वारा लगाये जा रहे आरोपों के बीच इस प्रक्रिया से मतदाता सूची में मतदाताओं के नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता आएगी।

बिहार के लिए अंतिम गहन पुनरीक्षण 2003 में किया गया था।

भाषा हक पवनेश माधव

माधव


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