“पानी की जगह बरसेगा, आसमान से प्लास्टिक”! इन देशों की सूचीं में शामिल है भारत का नाम ….जानें
हमारा देश भी शामिल है, प्लास्टिक रेन हो रही है।एनवायरमेंटल साइंस एंड टेक्वोलॉजी में इसी हफ्ते छपी स्टडी के मुताबिक ये माइक्रोप्लास्टिक हैं
plastic rain
Weather news today: ग्लोबल वॉर्मिंग आज दुनिया भर की सबसे तेजी बढ़ती हुई समस्याओं में से एक है। जहां एक ओर ग्लेशियर पिघल कर समुद्र का जल स्तर बढ़ा रहा हैं तो वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिक एसिड रेन की बात कर रहे हैं। जानकारों मानें तो आज से समय में शुद्ध वर्षा भी नहीं हो रही है। वर्षा के जल में प्लास्टिक होने की बात बताई जा रही है।
पूरी दुनिया में, जिसमें हमारा देश भी शामिल है, प्लास्टिक रेन हो रही है।एनवायरमेंटल साइंस एंड टेक्वोलॉजी में इसी हफ्ते छपी स्टडी के मुताबिक ये माइक्रोप्लास्टिक हैं, जो नंगी आंखों से नहीं दिखते, लेकिन जिन्हें इकट्ठा किया जाए तो प्लास्टिक का पहाड़ खड़ा हो जाएगा।
दरअसल ये माइक्रोप्लास्टिक हैं, जिनका साइज 5 मिलीमीटर जितना ही होता है। ये खिलौनों, कपड़ों, गाड़ियों, पेंट, कार के पुराने पड़े टायर या किसी भी चीज में होते हैं।हमारे पास से होते हुए ये वेस्टवॉटर में, और फिर समुद्र में पहुंच रहे हैं। यहां से समुद्र के इकोसिस्टम का हिस्सा बन जाते हैं और फिर बारिश बनकर धरती पर वापस लौट आते हैं।
Weather news today माइक्रोप्लास्टिक के असर पर रिसर्च हुई, जिसमें खुलासा हुआ कि हम रोज लगभग 7 हजार माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े अपनी सांस के जरिए लेते हैं। पोर्ट्समाउथ यूनिवर्सिटी की स्टडी में माना गया कि ये वैसा ही है, जैसा तंबाखू खाना या सिगरेट पीना।फिलहाल ये पता नहीं लग सका कि प्लास्टिक की कितनी मात्रा सेहत पर बुरा असर डालना शुरू कर देती है। लेकिन ये बार-बार कहा जा रहा है कि इससे पाचन तंत्र से लेकर हमारी प्रजनन क्षमता पर भी बुरा असर होता है। प्लास्टिक कैंसर-कारक भी है।

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