Pahli Bar SIR Kab Hua Tha: देश में पहली बार कब हुआ था SIR? जानिए क्यों होती है इसकी जरूरत और कितना है महत्वपूर्ण…

चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट को सटीक और अप-टू-डेट रखने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया फिर से शुरू की है। करीब दो दशकों बाद बिहार से इसकी शुरुआत हुई, जिसमें 69 लाख नाम हटा दिए गए। इस प्रक्रिया से अब बिहार में कुल वोटर संख्या 7.43 करोड़ रह गई है।

Pahli Bar SIR Kab Hua Tha: देश में पहली बार कब हुआ था SIR? जानिए क्यों होती है इसकी जरूरत और कितना है महत्वपूर्ण…

(Pahli Bar SIR Kab Hua Tha, Image Credit: eci)

Modified Date: November 4, 2025 / 02:02 pm IST
Published Date: November 4, 2025 2:01 pm IST
HIGHLIGHTS
  • देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR प्रक्रिया शुरू हुई।
  • 7 फरवरी 2026 तक चलेगा विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान।
  • पहली बार SIR 2002-2004 के बीच हुआ था, अब 20 साल बाद दोबारा।

नई दिल्ली: Pahli Bar SIR Kab Hua Tha: भारत में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया का विस्तार किया जा रहा है। इस प्रक्रिया के तहत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची को अद्यतन और सही किया जाएगा। इस प्रक्रिया का दूसरा चरण आज से शुरू होकर 7 फरवरी 2026 तक चलेगा।

कौन-कौन से राज्य और केंद्र शासित प्रदेश होंगे शामिल?

चुनाव आयोग ने इन 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR की शुरुआत की है:

  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
  • गोवा
  • मध्य प्रदेश
  • उत्तर प्रदेश
  • राजस्थान
  • पश्चिम बंगाल
  • पुडुचेरी
  • छत्तीसगढ़
  • गुजरात
  • केरल
  • तमिलनाडु
  • लक्षद्वीप

इन राज्यों में मतदाता सूची को फ्रीज कर दिया गया है और अब घर-घर जाकर सत्यापन का काम किया जाएगा।

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विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) क्या है?

SIR एक विशेष प्रक्रिया है, जिसके तहत चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची की गहन जांच की जाती है। इसमें घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सिर्फ योग्य मतदाता ही सूची में हों और नकली या डुप्लीकेट नाम हटाए जा सकें। इस प्रक्रिया में मतदान केंद्र पर एक बूथ लेवल अधिकारी (BLO) द्वारा मतदाताओं का व्यक्तिगत सत्यापन किया जाता है।

SIR की शुरुआत कब हुई थी?

भारत में पहली बार SIR 2002 से 2004 के बीच किया गया था। उस समय मतदाता सूची में भारी गलतियाँ पाई गई थीं, जिनमें कई नाम डुप्लीकेट या गलत स्थानों पर थे। इसके बाद अब 2025 में यह प्रक्रिया फिर से शुरू की गई है। बिहार में पहले चरण का पुनरीक्षण हुआ था, जिसमें 69 लाख नाम हटाए गए थे।

SIR की आवश्यकता क्यों है?

मतदाता सूची में समय के साथ कई प्रकार की गड़बड़ियां हो जाती हैं। जैसे:

  • कोई व्यक्ति एक ही स्थान पर दो बार दर्ज हो जाता है।
  • किसी का नाम गलत जगह पर दर्ज हो जाता है।
  • मृतक व्यक्तियों के नाम भी सूची में बने रहते हैं।

SIR के माध्यम से चुनाव आयोग इन सभी गलतियों को सुधारने की कोशिश करता है, ताकि आने वाले चुनाव में सटीक और निष्पक्ष मतदान प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके।

बिहार में SIR का क्या परिणाम था?

बिहार में हुए पहले SIR के दौरान लगभग 47 लाख मतदाता घटाए गए थे। चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित किया कि केवल पात्र मतदाता ही चुनावों में भाग लें। इसके बाद बिहार की अंतिम मतदाता सूची में कुल वोटर संख्या करीब 7.43 करोड़ रह गई।

बीएलओ का घर-घर दौरा

चुनाव आयोग ने यह तय किया है कि बीएलओ (बूथ लेवल अधिकारी) हर 1000 मतदाताओं के लिए एक अधिकारी नियुक्त करेंगे, जो घर-घर जाकर नाम मिलान करेंगे। इस दौरान यदि किसी मतदाता का नाम सूची में नहीं पाया जाता, तो उन्हें पहचान और निवास प्रमाण दिखाना होगा। अगर मतदाता किसी कारण से घर पर नहीं थे, तो उन्हें तीन बार बीएलओ का दौरा मिलेगा।

यदि कोई ऑनलाइन आवेदन करना चाहे तो क्या होगा?

मतदाता ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं। वे अपनी जानकारी को 2003 की सूची से लिंक करके नए मतदाता सूची में अपना नाम जोड़ सकते हैं। यदि नाम नहीं मिलता तो उन्हें 12 आवश्यक दस्तावेज दिखाकर अपनी पात्रता साबित करनी होगी।

SIR के बाद अंतिम सूची कब जारी होगी?

सभी दावे-आपत्तियों के बाद 7 फरवरी 2026 तक नई मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। यह सूची अंतिम होगी और इसके बाद किसी भी मतदाता या निवासी को अपील करने का अधिकार होगा।

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लेखक के बारे में

मैं 2018 से पत्रकारिता में सक्रिय हूँ। हिंदी साहित्य में मास्टर डिग्री के साथ, मैंने सरकारी विभागों में काम करने का भी अनुभव प्राप्त किया है, जिसमें एक साल के लिए कमिश्नर कार्यालय में कार्य शामिल है। पिछले 7 वर्षों से मैं लगातार एंटरटेनमेंट, टेक्नोलॉजी, बिजनेस और करियर बीट में लेखन और रिपोर्टिंग कर रहा हूँ।