Chandrayaan-3: आखिर चांद पर लैंड करने की प्रक्रिया इतनी जटिल क्यों है? इसरो प्रमुख ने किया खुलासा

Chandrayaan-3: चांद पर चंद्रयान-3 के लैंड होने की प्रक्रिया क्यों है बेहद जटिल? पूर्व इसरो प्रमुख ने बताया

Chandrayaan-3: आखिर चांद पर लैंड करने की प्रक्रिया इतनी जटिल क्यों है? इसरो प्रमुख ने किया खुलासा

Chandrayaan 3 Facts

Modified Date: August 22, 2023 / 11:02 am IST
Published Date: August 22, 2023 11:02 am IST

Chandrayaan 3: नई दिल्ली। जहां एक तरफ चंद्रयान-3 के लैंडर को कल यानी आगामी 23 अगस्त को शाम 6:04 बजे 25 Km की ऊंचाई से लैंड कराने की कोशिश की जाएगी। वहीं अगर भारत का चंद्रयान-3 मिशन सक्सेसफुल होता है तो वो चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा। लेकिन चांद पर चंद्रयान-3 के लैंड होने की प्रक्रिया बेहद जटिल है। इसे लेकर पूर्व इसरो प्रमुख ने खुलासा किया।

Chandrayaan-3: चंद्रमा पर चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल के उतरने से पहले इसरो के पूर्व चीफ जी. माधवन नायर ने बताया कि ‘टचडाउन’ यानी लैंड होने का प्रोसेस बहुत ही जटिल प्रक्रिया है। सभी को सावधान रहना होगा, क्योंकि इसकी कामयाबी के लिए जरूरी है कि उस वक्त सभी प्रणाली एकसाथ काम करें। पूर्व चीफ जी. माधवन नायर चंद्रयान-1 मिशन की लॉन्चिंग के वक्त 2008 में भारतीय स्पेस एजेंसी का नेतृत्व कर चुके हैं।

पूर्व इसरो चीफ का बयान

Chandrayaan-3: जी. माधवन नायर ने कहा कि लैंडिंग एक बहुत ही कठिन प्रोसेस है। हम चंद्रयान-2 के समय चंद्रमा की सतह के ऊपर आखिरी 2 किलोमीटर में ऐसा करने से चूक गए थे। ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिन्हें चंद्रयान-3 की लैंडिंग के वक्त एक साथ काम करना होगा। इसमें सेंसर, थ्रस्टर, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, अल्टीमीटर और बाकी कई चीजें शामिल हैं।

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कब लैंड होगा चंद्रयान-3?

Chandrayaan-3: इसरो के मुताबिक, रोवर के साथ लैंडर मॉड्यूल के बुधवार की शाम को लगभग 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर लैंड होने की उम्मीद है। जी. माधवन नायर ने कहा कि हम चंद्रमा की सतह से जो आंकड़े इकट्ठा कर सकते हैं, वह कुछ खनिजों की पहचान करने में इस्तेमाल होगा।

आखिरी 15 मिनट का टेरर

Chandrayaan-3: गौरतलब है कि चंद्रयान-3 के लिए लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं हैं. इसरो के मुताबिक, चांद के करीब पहुंचना इस मिशन के लिए कोई बड़ी बात नहीं है, इस वक्त मिशन का लैंडर मॉड्यूल चांद से न्यूनतम 25 किलोमीटर ही दूर है। चंद्रमा के लगातार चक्कर लगा रहा है. लेकिन आखिरी के 15 मिनट का टेरर से निपटने के लिए इसरो इस बार पूरी तरह तैयार है क्योंकि यही वो आखिरी 15 मिनट होंगे जब लैंडर और रोवर को इसरो के कंट्रोल रूम से कोई कमांड नहीं दी जा सकेगी।

Chandrayaan-3: लैंडर विक्रम को अपनी सुरक्षित और सफल सॉफ्ट लैंडिंग के लिए खुद ही कुछ काम करने होंगे यानी लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट के वक्त सारी जिम्मेदारी लैंडर विक्रम के कंधों पर होगी। इस समय सही ऊंचाई, सही मात्रा में फ्यूल का इस्तेमाल लैंडिंग के लिए करना होगा।

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