यूक्रेन में अंतिम खेल के विजेता और हारने वाले

यूक्रेन में अंतिम खेल के विजेता और हारने वाले

यूक्रेन में अंतिम खेल के विजेता और हारने वाले
Modified Date: February 24, 2025 / 04:10 pm IST
Published Date: February 24, 2025 4:10 pm IST

(अनुराधा शिनॉय, ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी, सोनीपत)

सोनीपत, 24 फरवरी (360इन्फो) युद्ध की समाप्ति के साथ, अमेरिका नए आर्कटिक क्षेत्रों के उपनिवेशीकरण पर ध्यान केंद्रित करेगा, चीन के खिलाफ प्रतिरोध का निर्माण करेगा और अपने सैन्य औद्योगिक परिसर को फिर से संगठित करेगा।

गत 6 फरवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 90 मिनट की फोन कॉल, रूस-यूक्रेन संघर्ष को ‘तत्काल’ समाप्त करने के लिए कूटनीति पर वापसी की आधिकारिक शुरुआत थी।

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ट्रंप ने यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने को अपने अभियान का मुद्दा बनाया था और इसे पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन का युद्ध करार दिया था।

जमीनी स्तर पर वास्तविकता यह है कि यूक्रेन हार रहा है और रूस हर दिन अधिक जमीन हासिल कर रहा है।

रूस को कमजोर करने, शासन परिवर्तन को प्रभावित करने, इसकी अर्थव्यवस्था को नष्ट करने और इसे वैश्विक दक्षिण से अलग करने की जो बाइडन की रणनीति स्पष्ट रूप से विफल रही है।

अब ट्रंप इसे अपनी व्यक्तिगत जीत की तरह दिखाना चाहेंगे।

इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को बाद में फोन कॉल के बारे में ‘सूचित’ किया गया, जबकि इस फोन कॉल में यूरोप का ज़िक्र नहीं किया गया, जिससे यूरोपीय लोग नाराज हो गए।

यूरोपीय नेता स्तब्ध रह गए और वाकई गुहार लगाने लगे कि उन्हें और यूक्रेन को शांति वार्ता में शामिल किया जाए।

गत 12 फरवरी को नाटो के यूक्रेन रक्षा संपर्क समूह को यह समझाने का काम ट्रंप के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ को सौंपा गया कि जल्द ही होने वाली शांति वार्ता में क्या उम्मीद की जाए।

हेगसेथ ने कहा, “युद्ध समाप्त होना चाहिए; यूक्रेन की 2014 से पहले की सीमाओं पर किसी भी वापसी की उम्मीद करना अवास्तविक है; यूक्रेन के लिए नाटो की सदस्यता एक यथार्थवादी लक्ष्य नहीं है; सुरक्षा गारंटी को सक्षम यूरोपीय और गैर-यूरोपीय सैनिकों द्वारा समर्थित किया जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ये शांति-रक्षक एक गैर-नाटो मिशन का हिस्सा होंगे, जो अनुच्छेद 5 के अंतर्गत नहीं आएगा; संपर्क रेखा पर मजबूत अंतरराष्ट्रीय निगरानी होगी और किसी भी अमेरिकी सैनिक को तैनात नहीं किया जाएगा।”

ट्रंप की योजना को 15 फरवरी को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के दौरान अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने आगे बढ़ाया, जहां उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यूरोपीय लोगों को यूरोपीय सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए और इसके लिए भुगतान भी करना चाहिए।

अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा था कि अमेरिका की प्राथमिकता प्रशांत क्षेत्र में चीन के साथ युद्ध को रोकने पर ध्यान केंद्रित करना है, वैसे ही वेंस ने कहा कि अमेरिका अब ‘दुनिया के उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है जो बहुत खतरे में हैं’ – जिसका अर्थ है कि यूरोप यूक्रेन और अपनी सुरक्षा की देखभाल कर सकता है, जबकि अमेरिका एशिया प्रशांत और आर्कटिक क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करेगा। शायद इसीलिए ट्रंप ने कनाडा को अमेरिका के 51वें राज्य और ग्रीनलैंड को संभावित उपनिवेश के रूप में पेश किया।

वेंस ने बहुत ‘जागरूक’ होने, मुक्त भाषण पर रोक लगाकर अपने मूल्यों पर कायम न रहने और रोमानिया में चुनाव रद्द होने पर खुशी मनाने के लिए भी यूरोपीय लोगों से नाराजगी जताई।

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी भारतीय लोकतंत्र की आलोचना करने के लिए यूरोपीय लोगों से नाखुशी जताई। उन्होंने दावा किया कि यह एक आदर्श लोकतंत्र है।

(360इन्फो) वैभव नेत्रपाल

नेत्रपाल


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