पहली शादी कायम रहने पर महिला दूसरे व्यक्ति से गुजारा भत्ता नहीं मांग सकती : उच्च न्यायालय

पहली शादी कायम रहने पर महिला दूसरे व्यक्ति से गुजारा भत्ता नहीं मांग सकती : उच्च न्यायालय

पहली शादी कायम रहने पर महिला दूसरे व्यक्ति से गुजारा भत्ता नहीं मांग सकती : उच्च न्यायालय
Modified Date: December 16, 2025 / 10:37 pm IST
Published Date: December 16, 2025 10:37 pm IST

प्रयागराज, 16 दिसंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में कहा है कि एक महिला ने यदि अपने पति से तलाक नहीं लिया है तो उसने दूसरे व्यक्ति के साथ कितना लंबा समय क्यों ना व्यतीत किया हो, वह उससे सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता का दावा नहीं कर सकती।

अदालत ने स्पष्ट किया, ‘‘भले ही मान लिया जाए कि विवाह की रस्म हुई है, तो भी यह अमान्य होगा क्योंकि याचिकाकर्ता का पूर्व का विवाह अस्तित्व में बना हुआ है। इसलिए वह लंबे समय से संबंध के आधार पर सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता का दावा नहीं कर सकती।’’

न्यायमूर्ति मदन पाल सिंह की पीठ ने कहा, “यदि समाज में इस तरह की व्यवस्था की अनुमति दी जाती है जहां एक महिला कानूनन एक व्यक्ति की पत्नी है और बिना तलाक लिए वह दूसरे व्यक्ति के साथ रहती है और दूसरे व्यक्ति से गुजारा भत्ता की मांग करती है तो धारा 125 की पवित्रता और उद्देश्य खत्म हो जाएगा और विवाह नाम की संस्था अपनी कानूनी और सामाजिक निष्ठा खो देगी।’’

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मौजूदा मामले में महिला ने जिला अदालत के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया। जिला अदालत ने भी गुजारा भत्ता का आदेश देने से इनकार कर दिया था।

पुनरीक्षण याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा, ‘‘इस अदालत का विचार है कि यद्यपि याचिकाकर्ता विपक्षी के साथ करीब 10 वर्ष रही और यह संबंध वैवाहिक संबंध जैसा प्रतीत हो सकता है, फिर भी इस तरह से साथ रहना, उसे धारा 124 के तहत एक पत्नी का कानूनी दर्जा प्रदान नहीं करता।’’

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि महिला का नाम उसके आधार कार्ड और पासपोर्ट सहित आधिकारिक दस्तावेज में विपक्षी (जिसके साथ वह रहती थी) की पत्नी के तौर पर दर्ज है और समाज में उसे विपक्षी की पत्नी के तौर पर पहचाना जाता है।

उन्होंने दलील दी कि विपक्षी और उसके बेटों ने महिला के साथ क्रूरता और उत्पीड़न किया और उसे मार्च, 2018 में घर से निकाल दिया जिससे वह धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता की मांग करने के लिए विवश हुई।

अदालत ने आठ दिसंबर को दिए अपने निर्णय में कहा कि याचिकाकर्ता धारा 125 के तहत कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के दायरे में नहीं आती, इसलिए गुजारा भत्ता की मांग का उसका आवेदन खारिज किया जाता है।

भाषा सं राजेंद्र शफीक

शफीक


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