डब्ल्यूएफआई चुनावों के खिलाफ पहलवानों की याचिका पर 12 सितंबर को होगी सुनवाई
डब्ल्यूएफआई चुनावों के खिलाफ पहलवानों की याचिका पर 12 सितंबर को होगी सुनवाई
नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहलवान बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान की याचिका पर 12 सितंबर को सुनवाई की तारीख तय की है। याचिका में पिछले साल भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पदाधिकारियों के चुनाव को रद्द करने और अवैध घोषित करने का अनुरोध किया गया है।
न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने सात महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के लिए डब्ल्यूएफआई के निवर्तमान प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पिछले साल जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन में शामिल रहे पहलवानों के साथ ही केंद्र और डब्ल्यूएफआई से मामले में दलीलें पूरी करने को कहा।
याचिकाकर्ताओं के ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा कि डब्ल्यूएफआई को ‘‘प्रॉक्सी (दूसरे को पद पर बैठाकर) द्वारा संचालित’’ किया जा रहा है। उन्होंने पेरिस ओलंपिक में डब्ल्यूएफआई के वर्तमान अध्यक्ष संजय सिंह की मौजूदगी पर आपत्ति जताई, जहां वह विनेश के संबंध में ‘‘निर्णय ले रहे थे।’’ विनेश को कुश्ती के 50 किलोग्राम वर्ग के स्वर्ण पदक मुकाबले से पहले 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
बृजभूषण के वफादार संजय सिंह को 21 दिसंबर, 2023 को हुए चुनावों में डब्ल्यूएफआई का नया अध्यक्ष चुना गया। याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा, ‘‘वह (संजय सिंह) ओलंपिक के लिए पेरिस में हैं और विनेश फोगाट के मामले में निर्णय ले रहे हैं।’’ उन्होंने अदालत से मामले में तत्काल आधार पर सुनवाई का आग्रह किया। वकील ने अदालत से कहा कि यह राष्ट्रीय हित का मामला है।
केंद्र सरकार के वकील अनिल सोनी ने कहा कि पूरा देश फोगाट के साथ है।
इस बीच, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने एक अन्य न्यायाधीश के समक्ष भी मामले का उल्लेख किया, जिन्होंने मई में डब्ल्यूएफआई के वर्तमान स्वरूप में कामकाज पर रोक लगाने और कुश्ती के खेल के लिए राष्ट्रीय महासंघ के रूप में कोई भी गतिविधि करने से रोकने के मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रखा था।
वरिष्ठ वकील द्वारा फैसला सुनाने की तारीख तय करने के अनुरोध को न्यायाधीश ने ठुकरा दिया। याचिकाकर्ताओं ने इस साल की शुरुआत में डब्ल्यूएफआई चुनावों को रद्द करने और उन्हें अवैध घोषित करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था।
भाषा आशीष प्रशांत
प्रशांत

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