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Indian OTT Platforms: मुंबई: पिछले कुछ हफ्तों में भारतीय स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स की दुनिया में काफी हलचल देखने को मिली है। हालांकि अब तक कोई बड़ा वेब शो या सीरीज़ ऐसा नहीं रहा है, जिसने सिनेमा जगत पर गहरा या स्थायी प्रभाव डाला हो, लेकिन जो बात स्पष्ट रूप से सामने आई है, वो ये है कि अलग तरह की कोशिशें लगातार बढ़ रही हैं। ‘मंडला मर्डर्स’ और ‘अंधेरा’ जैसे शोज़ रिस्क ले रहे हैं, और यही बड़ी बात है। आज के मेकर्स की क्रिएटिव सोच ही वो ताकत है जो आगे इस इंडस्ट्री का भविष्य तय करेगी।
आज जब हम हिंदी भाषा में बनाए जा रहे लंबे फॉर्मेट के प्रोडक्शन्स जैसे वेब सीरीज़, मिनी-सीरीज़ या ओटीटी के ओरिज़िनल शोज़ को देखते हैं, तो उनकी गहराई से समझ के लिए पारंपरिक बॉलीवुड के व्यावसायिक मॉडल और उसके तौर-तरीकों को भी समझना जरुरी हो जाता है। इन नए जेनरेशन की वेब सीरीज की सफलता या असफलता को लेकर अभी कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला जा सका है, लेकिन इन कहानियों में जो फ्रीडम और नयी ओपन माइंडेड थिंकिंग को झलकाया है, उन्हें नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है। दस साल पहले ये प्लेटफ़ॉर्म कुछ और ही था लेकिन अब इस प्लेटफार्म का हर शो मेच्योर थीम पे बेस्ड हो चूका है और हर कहानी कोई नयी ही कल्पना पर बनी होती है।
उदाहरण के तौर पर अगर बात करें नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज़ ‘मंडला मर्डर्स’ की, तो ये आठ एपिसोड की एक क्राइम थ्रिलर है, जो एक छोटे शहर के दो पुलिस अफसरों की कहानी है। दोनों एक बेहद अजीब और डरावनी मर्डर मिस्ट्री की तह तक जाने की कोशिश कर रहे हैं।
कहानी में परत-दर-परत कई एलिमेंट्स हैं एक रहस्यमय और पुरातन पंथ की वापसी, गुफाओं में छिपे खौफनाक राज़, अंगूठा निगलने वाली मशीनें, आध्यात्मिक संस्थानों की चालें, राजनीति की साजिशें, शरीर के अंगों से जुड़ी सनसनीखेज घटनाएं, पौराणिक पात्रों का मॉडर्न रीइमेजिनेशन, पीढ़ियों तक खिंचती बदले की कहानियां, और धर्म व विज्ञान के टकराव को दिखाती गहरी खाई। हालांकि, सीरीज़ कई बार अपनी ही जटिलताओं में उलझ जाती है कुछ एपिसोड्स में कहानी इतनी फैली हुई लगती है कि दर्शक कनेक्ट खो बैठता है, और कहीं-कहीं ये थोड़ा बोरिंग भी महसूस होने लगती है।
लेकिन इसके बावजूद, इसमें एक गंभीर कोशिश दिखाई देती है एक नई, अनसुनी दुनिया बनाने की, एक अलग अनुभव देने की, और सबसे ज़रूरी, कंटेंट में कुछ नया कहने की। ये सही है कि ‘मंडला मर्डर्स’ टेक्निकली और नैरेटिवली एक परफेक्ट शो नहीं है और शायद इसे फ्लॉप भी कहा जा सकता है लेकिन इसका फेल होना भी एक संकेत देता है: कम से कम किसी ने रिस्क तो लिया, कुछ नया करने की हिम्मत दिखाई। और आज के दौर में, जहां कंटेंट में ‘कॉपी-पेस्ट’ का ट्रेंड चल रहा है, वहाँ ये अपने आप में एक बड़ी बात है।
कई दर्शकों को ये सीरीज बोरिंग लगी और कई लोगों को ये बहुत पसंद भी आयी। ये एक थ्रिलर स्टोरी है, जो मुंबई में एक संभावित मानसिक-स्वास्थ्य बिमारी के इर्द-गिर्द घूमती है। इसका कॉन्सेप्ट जितना आकर्षक है, असली आठ-एपिसोड की लंबी सीरीज़ उतनी ही बोझिल लगती है।
अंधेरा’ की कहानी सत्ता और नियंत्रण की जटिल परतों को उधेड़ती है। इसकी धीमी रफ्तार से बढ़ती टेंशन, चौंकाने वाले खुलासे, और यथार्थ और रहस्य के बीच लगातार बदलाव दर्शकों को आखिरी पल तक जोड़े रखते हैं। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, एक समानांतर प्लॉट जो डिप्रेशन के एक एक्सपेरिमेंटल ट्रीटमेंट से जुड़ा है मुख्य जांच से टकराने लगता है। इस शो के कहानी की शुरुआत एक खौफनाक रहस्य से होती है। डॉ. पृथ्वी सेठ (प्रणय पचौरी) से संपर्क करने के लिए बेताब बानी बरुआ (जाह्नवी रावत) अस्पष्ट परिस्थितियों में गायब हो जाती है। इंस्पेक्टर कल्पना कदम (प्रिया बापट) मामले की कमान संभालती हैं, और उनकी जाँच उन्हें ‘पृथ्वी’ तक ले जाती है जो अब कोमा में है और उसके छोटे भाई जय (करणवीर मल्होत्रा) तक, जो एक परेशान मेडिकल छात्र है और बानी और अन्य परछाइयों से जुड़े भयानक बुरे सपनों से त्रस्त है।
Indian OTT Platforms: फिर भी, ये कहना मुश्किल है कि Andhera, ठीक उसी तरह जैसे Mandala Murders, एक कल्पनाशील और बड़े जोखिम लेने वाली कहानी है, ये शायद ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के बिना कभी नहीं बन पातीं। अगर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर क्रिएटिविटी दिखने का ऐसा ही मौका मिले तो भविष्य में भी ऐसी नयी और अलग कहानियां बनती रहेंगी।