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Baaghi 4 Review: टाइगर श्रॉफ स्टारर बाघी 4 मूवी शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है। ट्रेलर आने के बाद से ही इस फिल्म का फैंस बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। बाघी 4 में टाइगर श्रॉफ के साथ संजय दत्त, हरनाज संधू और सोनम बाजवा अहम भूमिका निभाते नजर आए हैं। सोशल मीडिया पर ऑडियंस ने अपना रिएक्शन शेयर करना चालू कर दिया है। तो चलिए अब समझ लेते हैं कि आखिर फिल्म देखने वाले दर्शक का क्या मूड हैः-
वैसे तो इस फिल्म की खास बात ये है कि इसको डायरेक्ट साउथ के डायरेक्टर ए. हरसा ने किया है तो फिल्म में साउथ का तड़का भी देखने को मिल रहा है। लेकिन वो कुछ खास कमाल नहीं कर पाए। इस फिल्म को ऑडियंस का मिक्स्ड रिएक्शन मिल रहा है। वहीं फिल्म समीक्षक भी इस पर अपना मिलाजुला राय दे रहे हैं। फिल्म को लेकर एक्शन और थ्रिल की तारीफ करते पब्लिक ‘फुल एंटरटेनर’ कह रहे हैं। वहीं कुछ दर्शकों को फिल्म की स्टोरीलाइन ज़्यादा नया नहीं लगा। फिल्म में बिना वजह का खून खराबा दिखाया गया है, जिसके कारण फिल्म कई दर्शकों को एनिमल जैसी लगने लगती है,
टाइगर श्रॉफ ने इस बार सिर्फ एक्शन ही नहीं किया, बल्कि इमोशनल सीन्स में भी अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई है। ये शायद उनकी अब तक की सबसे अच्छी परफॉर्मेंस कही जा सकती है। उनके फाइटिंग स्टाइल्स, बॉडी लैंग्वेज और एक्शन की टाइमिंग बेहतरीन है। उनके फाइटिंग स्टाइल्स, बॉडी लैंग्वेज और एक्शन की टाइमिंग बेहतरीन है। सोनम बाजवा ने अपने लुक्स और एक्शन दोनों से दर्शकों को इम्प्रेस किया है। उनकी डायलॉग डिलीवरी और स्क्रीन प्रजेंस भी मजबूत है। हरनाज संधू, जो मिस यूनिवर्स रही हैं, ने भी अपने किरदार को बखूबी निभाया है, हालांकि उन्हें डायलॉग डिलीवरी में थोड़ी और मेहनत करनी होगी। लेकिन किरदार उन पर सूट करता है और स्क्रीन पर वो आकर्षक लगती हैं। संजय दत्त की एंट्री से लेकर उनके सीन तक, उनका प्रेजेंस दमदार है। वो जितनी देर स्क्रीन पर रहते हैं, उतना ही प्रभाव छोड़ते हैं। सौरभ सचदेवा, जिनकी एक्टिंग हमेशा सराही जाती है, इस बार भी उन्होंने अपने लिमिटेड स्क्रीन टाइम में खुद को यादगार बना दिया है। वो उन एक्टर्स में से हैं जो कम में भी ज्यादा कर जाते हैं।
जहाँ कुछ दर्शक फिल्म की पुराने फॉर्मूले वाली स्टोरीलाइन से थोड़े निराश हुए। वहीं अधिकतर लोगों ने माना कि फिल्म उम्मीद से बेहतर निकली। इसे सिर्फ एक एक्शन फिल्म कहना फिल्म के साथ गलत होगा, क्योंकि इसके केंद्र में एक दिलचस्प मनोवैज्ञानिक सस्पेंस है, जो दर्शकों को शुरुआत से लेकर अंत तक बांधे रखता है।
पॉजिटिव :
निगेटिव:
फिल्म का म्यूज़िक ठीक-ठाक है। गाने फिल्म की कहानी को रोकते नहीं हैं, बल्कि बीच-बीच में एक अच्छा ब्रेक देते हैं।