फिल्ममेकर विजय आनंद जिसने अपनी बहन की बेटी से ही कर ली थी शादी, आज है इस महान कलाकार की 19वीं बरसी

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  • Publish Date - February 22, 2023 / 06:39 PM IST,
    Updated On - February 22, 2023 / 06:39 PM IST

19th death anniversary of vijayanand: बॉलीवुड एक्टर, स्क्रीन राइटर, एडिटर, प्रोड्यूसर व डायरेक्टर विजय आनंद की आज 16वीं डेथ एनिवर्सरी है। विजय आनंद ने 70-80 के दशक में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के लिए कई शानदार फिल्मों का निर्माण किया था। विजय को गोल्डी आनंद के नाम से भी जाना जाता है। वे अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। उनके दो बड़े भाई डायरेक्टर-प्रोड्यूसर चेतन आनंद और अभिनेता-निर्देशक देव आनंद साहब थे। इन तीन भाइयों ने साथ मिलकर ‘नवकेतन फिल्म्स’ शुरू की थी। यह एक ऐसा प्रोडक्शन हाउस था, जो अपनी फिल्मों की बेहतरीन कहानियों और यादगार संगीत के लिए जाना जाता है। विजय आनंद का जन्म 22 जनवरी, 1934 को पंजाब के गुरदासपुर में हुआ था।

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19th death anniversary of vijayanand: देव आनंद के सुपरहिट करियर में भाई विजय आनंद की बहुत बड़ी भूमिका रही है। विजय आनंद ने ‘काला बाजार’, ‘तेरे घर के सामने’, ‘गाइड’, ‘ज्वेल थीफ’, ‘जॉनी मेरा नाम’, ‘तेरे मेरे सपने’ और ‘कोरा कागज’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों का निर्माण किया। अपनी फिल्मों की बदौलत विजय आनंद ने दर्शकों के बीच खास जगह बनाई। फिल्म और एक्टिंग के अलावा वह अपनी पर्सनल लाइफ की वजह से भी सुर्खियों में रहे। खासतौर पर अपनी शादी को लेकर उन्हें काफी विवादों का सामना करना पड़ा।

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19th death anniversary of vijayanand: रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुषमा कोहली (विजय आनंद की पत्नी) रिश्ते में विजय आनंद की भतीजी लगती थीं। उन्होंने अपनी ही बहन की बेटी से शादी की थी, जो उस समय काफी विवादों में रही थी। एक बार सुषमा कोहली ने एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में अपनी शादी को लेकर कई दिलचस्प बातें शेयर की थीं। उन्होंने कहा कि गोल्डी और मेरी शादी साल 1978 में हुई थी। जब हमारी शादी हुई तो फिल्म ‘राम बलराम’ की शूटिंग चल रही थी। उन्हें मेरी सादगी पसंद आई। मैं उनका मिजाज समझ गया। मैं समझ गया कि वे जल्दी गुस्सा नहीं होते। मैं वह था जिसे आसानी से गुस्सा आ जाता था। मैं और पागल हो गया था। मैं जानबूझकर उन्हें नाराज़ करने के लिए कुछ चीज़ें करता था। कभी उन्होंने मुझे संभाला, कभी मैंने उन्हें।

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19th death anniversary of vijayanand: विजय आनंद के करियर की बात करें तो उन्होंने ‘हकीकत’, ‘कोरा कागज’, ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’ जैसी फिल्मों में बतौर हीरो काम किया। एक समय था जब विजय आनंद तनाव के शिकार थे, जिसके बाद वे कुछ दिनों के लिए ओशो की शरण में चले गए। उन्होंने ओशो से आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की। 23 फरवरी 2004 को दिल का दौरा पड़ने से विजय आनंद का निधन हो गया।

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