1 . इस कोरोना काल में 80 करोड़ से भी अधिक देशवासियों के लिए इतने लंबे कालखंड के लिए मुफ़्त में राशन की व्यवस्था की गई, ताकि ऐसी स्थिति कभी पैदा न हो कि उनके घर का चूल्हा न जले। भारत ने ये काम करके दुनिया के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है.
2. UP और तमिलनाडु में डिफेंस कॉरिडोर बना रहे हैं, जिस तरह से MSME क्षेत्र के लोग डिफेंस सेक्टर में आ रहे हैं ये उत्साहवर्धक है और दिखाता है कि देश के लोगों में सामर्थ्य है। देश को डिफेंस के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए MSME के लोग बहुत साहस जुटा रहे हैं.
3.नैसकॉम के अनुसार 2017 के बाद 27 लाख रोजगार आईटी सेक्टर में प्राप्त हुआ। 2021 में भारत में जितने यूनिकॉर्न बने वो पहले के वर्षों में बने कुल यूनिकॉर्न से भी ज़्यादा हैं। अगर ये सब रोजगार की गिनती में नहीं आता तो फिर ये रोजगार से ज़्यादा राजनीति की चर्चा ही मानी जाती है.
4. साल 2021 में एक करोड़ 20 लाख नए ईपीएफओ के पेरोल पर जुड़े, इनमें से 60-65 लाख 18 से 25 वर्ष की आयु के हैं। रिपोर्ट बताती है कि कोरोना के पहले की तुलना में कोविड प्रतिबंध खुलने के बाद नियुक्तियां दोगुनी बढ़ गई हैं.
5. यूपीए के समय महंगाई डबल डिजिट छू रही थी, आज हम एक एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था हैं जो हाई ग्रोथ और मध्यम मुद्रास्फीति अनुभव कर रहे हैं.
6.इस सदन में कुछ साथियों ने भारत की निराशाजनक तस्वीर पेश की और ऐसा लग रहा था कि उन्हें इसे पेश करने में आनंद भी आ रहा था। मुझे लगता है कि सार्वजनिक जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं और जय-पराजय होती रहती है, उससे छाई हुई व्यक्तिगत जीवन की निराशा कम से कम देश पर नहीं थोपनी चाहिए.
7. कुछ दल के बड़े नेताओं ने पिछले दो साल में जो अपरिपक्वता दिखाई है उससे देश को बहुत निराशा हुई है। हमने देखा कि कैसे राजनीतिक स्वार्थ में खेल खेले गए, भारतीय वैक्सीन के खिलाफ मुहिम चलाई गई.
8.कुछ लोग ये ही मानते हैं कि हिन्दुस्तान 1947 में पैदा हुआ और भारत में पिछले 75 सालों में जिसको 50 साल काम करने का मौका मिला उनकी नीतियों पर भी इस मानसिकता का प्रभाव रहा जिससे कई विकृतियां पैदा हुई हैं। ये लोकतंत्र आपकी मेहरबानी से नहीं है.
9. कांग्रेस की परेशानी ये है कि उन्होंने डायनेस्टी के आगे कुछ सोचा ही नहीं। भारत को सबसे बड़ा खतरा परिवारवादी पार्टियों का है। मैं चाहता हूं कि सभी राजनीतिक दल लोकतांत्रिक मूल्यों और आदर्शों को अपने दलों में भी विकसित करें.
10.अगर कांग्रेस न होती तो बेटियों को तंदूर में जलाने की घटनाएं न होतीं, अगर कांग्रेस न होती तो देश के सामान्य मानवी को मूल सुविधाओं के लिए इतने सालों तक इंतजार न करना पड़ता.
11.अगर कांग्रेस न होती तो जातिवाद और क्षेत्रवाद की खाई इतनी गहरी न होती, अगर कांग्रेस न होती तो सिखों का नरसंहार न होता, सालों साल पंजाब आतंकी आग में न जलता, अगर कांग्रेस न होती तो कश्मीर के पंडितों को कश्मीर छोड़ने की नौबत न आती.
12. अगर कांग्रेस न होती तो लोकतंत्र परिवारवाद से मुक्त होता, भारत विदेशी चश्मे के बजाए स्वदेशी संकल्पों के रास्ते पर चलता, अगर कांग्रेस न होती तो आपातकाल का कलंक न होता, अगर कांग्रेस न होती तो दशकों तक भ्रष्टाचार को संस्थागत बनाकर नहीं रखा जाता.