The history of this temple is linked to historical stories

Mandhare Wali Mata Gwalior: ऐतिहासिक कहानियों से जुड़ा है इस मंदिर का इतिहास, भक्तों की हर मुराद होती है पूरी, जाने क्या है इसकी मान्यता

Mandhare Wali Mata Gwalior: ऐतिहासिक कहानियों से जुड़ा है इस मंदिर का इतिहास, भक्तों की हर मुराद होती है पूरी, जाने क्या है इसकी मान्यता

Edited By :   Modified Date:  October 16, 2023 / 03:22 PM IST, Published Date : October 16, 2023/3:18 pm IST

Mandhare Wali Mata Gwalior: ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक जयाजीराव सिंधिया द्वारा 135 वर्ष पूर्व स्थापित कराया गया है। श्री महाकाली देवी की अष्टभुजा महिषासुर मर्दिनी रूपी माता का मंदिर है जिसे वर्तमान में मांढरेवाली माता के नाम से जाना जाता है। यहां जो भी मन्नत लेकर श्रद्धालु पहुंचता है मां उसकी हर मनोकामना को पूर्ण करती है। चैत्र व क्वार के नवरात्रि महोत्सव में यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। शहर के ऐतिहासिक मंदिरों में मांढरेवाली माता का मंदिर भी शामिल है। कंपू क्षेत्र पहाड़ी पर बना यह भव्य मंदिर स्थापत्य की दृष्टि से तो खास है ही, इस मंदिर में विराजमान अष्टभुजा वाली महिषासुर मर्दिनी मां महाकाली की प्रतिमा अद्भुत और दिव्य है।

Read More: Balrampur Mahamaya Mandir: नवरात्रि पर पंचमी की आरती के लिए मिलो दूर से आते हैं श्रध्दालु, जानें क्या है इस महामाया मंदिर की मान्यता?

सिंधिया शासक ने बनवाया था ये मंदिर

बताया जाता है कि इस मंदिर को 147 वर्ष पूर्व आनंदराव मांढरे जो कि जयाजीराव सिंधिया की फौज में कर्नल के पद पर थे, उनके कहने पर ही तत्कालीन सिंधिया शासक ने यह मंदिर बनवाया था। आज भी इस मंदिर की देखरेख और पूजा-पाठ का दायित्व मांढरे परिवार निभा रहा है। मांढरेवाली माता के इर्द-गिर्द अनेक अस्पताल हैं, जहां आज भी उपचार के लिए आने वाले मरीजों के परिजन यहां मन्नत मांगते हैं और कोई घंटियां चढ़ाता है, तो कोई धागा बांधकर मन्नत मांगता है और जब मन्नत पूरी होती है तो मत्था टेकने भी आता है।

Read More: MP Assembly Election 2023: बुधनी में कलाकार Vs कलाकार के बीच मुकाबला, जानें किसने दिया ये बड़ा बयान

अष्टभुजा वाली महाकाली मैया सिंधिया राजवंश की कुल देवी हैं। इस वंश के लोग जब भी कोई नया कार्य करते हैं तो मंदिर पर मत्था टेकने जरूर आते हैं। साढ़े तेरह बीघा भूमि विरासतकाल में इस मंदिर को राजवंश द्वारा प्रदान की गई। मंदिर की हर बुनियादी जरूरत को सिंधिया वंश द्वारा पूरा किया जाता है। जयविलास पैलेस और मंदिर का मुख आमने-सामने है।

Read More: MP Vidhan Sabha Chunav 2023: भाजपा को लगा जोरदार झटका, BJP के पूर्व प्रत्याशी ने सैकड़ों समर्थकों के साथ थामा कांग्रेस का हाथ 

Mandhare Wali Mata Gwalior: जयविलास पैलेस से एक बड़ी दूरबीन के माध्यम से माता के दर्शन प्रतिदिन सिंधिया शासक किया करते थे। इस मंदिर पर लगे शमी के वृक्ष का प्राचीन काल से सिंधिया राजवंश दशहरे के दिन पूजन किया करता है। आज भी पारंपरिक परिधान धारण कर सिंधिया राजवंश के प्रतिनिधि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने बेटे तथा व सरदारों के साथ यहां दशहरे पर मत्था टेकने और शमी का पूजन करने आते हैं।

 

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें

Follow the IBC24 News channel on WhatsApp

 
Flowers