#SarkaronIBC24: छत्तीसगढ़ में धान पर फिर घमासान, 8000 करोड़ का घाटा.. विपक्ष ने हंगामा काटा ! |

#SarkaronIBC24: छत्तीसगढ़ में धान पर फिर घमासान, 8000 करोड़ का घाटा.. विपक्ष ने हंगामा काटा !

paddy crop in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने खुले बाजार में 40 लाख मीट्रिक टन धान बेचने का फैसला किया है.. कांग्रेस का आरोप है कि इससे राज्य को 8 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा..मंगलवार को विधानसभा में इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में जमकर तकरार देखने को मिली..

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Modified Date: March 11, 2025 / 11:48 PM IST
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Published Date: March 11, 2025 11:47 pm IST
HIGHLIGHTS
  • आरोप है कि इससे राज्य को 8 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा
  • किसानों से 3100 रुपए प्रति क्विटल की दर से धान खरीदी
  • सरकार ने किसानों से 149 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा

#SarkaronIBC24:  रायपुर: छत्तीसगढ़ में मंगलवार को सदन में धान खरीदी और उसके निराकरण पर जमकर माहौल गरमाया.. विपक्ष के एक सवाल के जवाब में सरकार ने ये कहा है कि 47 लाख मीट्रिक टन धान का अब तक निराकरण नहीं हो पाया है..अब सरकार के पास उसे नीलाम करने के अलावा कोई उपाय बचा नहीं है । सवाल है ऐसी स्थिति बनी क्यों..और सरकार आखिर क्यों धान का बेहतर उपयोग करने की स्थिति में नहीं है?..

paddy crop in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने खुले बाजार में 40 लाख मीट्रिक टन धान बेचने का फैसला किया है.. कांग्रेस का आरोप है कि इससे राज्य को 8 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा..मंगलवार को विधानसभा में इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में जमकर तकरार देखने को मिली.. पूर्व सीएम भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किया.. जिसे स्पीकर रमन सिंह ने अस्वीकार कर दिया.. नाराज विपक्ष ने इसे लेकर हंगामा किया जिसके चलते 29 कांग्रेस विधायकों को निलंबित कर दिया गया.. कांग्रेस का आरोप है कि किसानों से 3100 रुपए प्रति क्विटल की दर से धान खरीदी जाती है.. लेकिन सहकारी समिति के खर्च, बारदाना और ट्रांसपोर्टेशन पर भी खर्च होता है.. जिसे जोड़े तो ये खर्च करीब 3600 रुपए प्रति क्विंटल तक चला जाता है.. खुले बाजार में धान बेचने पर सरकार को 15 से 16 सौ रुपए प्रति क्विंटल का ही दाम मिल पाएगा.. यानी सरकार को भारी नुकसान होने जा रहा है…

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विपक्ष के मुताबिक सरकार ने किसानों से 149 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा है.. इसमें से केंद्रीय पूल के धान के उठाव के बावजूद सरकार 47 लाख मीट्रिक टन धान का निराकरण नहीं कर पाएगी..

भूपेश बघेल, पूर्व सीएम ने कहा कि चार-चार इंजन की सरकार कहते हैं.. लेकिन यहां की धान को खरीदवा भी नहीं पा रहे हैं.. 8 हजार करोड़ का घाटा बड़ी क्षति है.. इस नुकसान का असर अगले वित्तीय वर्ष में दिखेगा.. इससे अगले साल की धान खरीदी प्रभावित होगी.. इसलिए हमने उठाया और निलंबित भी हो गए।

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विपक्ष के हमलों के बाद सरकार ने सफाई दी कि केंद्रीय पूल पर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है.. वहीं सरकार छत्तीसगढ़ में धान की भंडारण क्षमता बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है… मंत्री दयाल दास बघेल, खाद्य मंत्री, छग ने कहा कि इस साल केंद्रीय पूल में 69.72 लाख मीट्रिक टन चावल जमा होना है, अब तक 6.58 लाख मीट्रिक टन चावल जमा किया जा चुका करीब 60 लाख मीट्रिक टन चावल जमा होना शेष है बचे धान का निराकरण शासन स्तर पर किया जाएगा।

राजनीति में मुद्दे हमेशा जिंदा रहते हैं.. बस उन्हें उठाने वाले और पलटवार करने वाले किरदार बदल जाते हैं.. महज 2 साल पहले यही सवाल तब की विपक्ष यानी भाजपा उठती थी और जवाब कांग्रेस को देना पड़ता था.. वक्त का तकाजा देखिए आज इसी मुद्दे पर कांग्रेस हमलावर है और बीजेपी को बचाव करना पड़ रहा है.. बड़ा सवाल यही है कि धान की बड़ी मात्रा में खरीदी और उसके उठाव की सही प्लानिंग क्यों नहीं की गई…47 लाख मीट्रिक टन धान के निराकरण में कहां बाधा आ रही है.. 8 हजार करोड़ रुपए का घाटा किसके खाते में चढ़ेगा..क्या धान की नीलामी के अलावा कोई और चारा नहीं बचा है..क्या धान खरीदी की पूरी व्यवस्था की फिर से समीक्षा का वक्त आ गया है…

धान खरीदी को लेकर विवाद क्यों हुआ?

सरकार ने 149 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा है, लेकिन 47 लाख मीट्रिक टन का निराकरण नहीं हो सका है। अब इसे खुले बाजार में बेचने की तैयारी है, जिससे सरकार को 8000 करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है।

कांग्रेस और विपक्ष सरकार पर क्या आरोप लगा रहे हैं?

कांग्रेस का कहना है कि किसानों से 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा गया धान सभी खर्चों के बाद 3600 रुपये प्रति क्विंटल तक पड़ता है, लेकिन सरकार इसे सिर्फ 1500-1600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेच रही है, जिससे भारी घाटा होगा।

सरकार इस मुद्दे पर क्या सफाई दे रही है?

सरकार का कहना है कि केंद्रीय पूल में धान के उठाव पर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। साथ ही, राज्य में भंडारण क्षमता बढ़ाने और धान के निराकरण के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं।