Bihar News: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अचानक बुलाई बड़ी बैठक, क्या हो सकती है वजह, विधायकों में डर का माहौल…
बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने एक बड़ी राजनीतिक हलचल करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक अपने आवास पर बुलाई है। यह बैठक सुबह 10 बजे शुरू होगी, जिसमें सीट बंटवारे और संभावित उम्मीदवारों के नामों पर गहन चर्चा की जाएगी।
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- बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में
- 6 और 11 नवंबर को मतदान 14 नवंबर को मतगणना की जाएगी
- सीएम नीतीश कुमार ने जदयू के शीर्ष नेताओं की बुलाई अहम बैठक
Bihar News: बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज़ हो गई हैं। चुनाव आयोग ने दो चरणों में मतदान की घोषणा कर दी है। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी। इसी बीच बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने एक बड़ी राजनीतिक हलचल करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक अपने आवास पर बुलाई है। यह बैठक सुबह 10 बजे शुरू होगी, जिसमें सीट बंटवारे और संभावित उम्मीदवारों के नामों पर गहन चर्चा की जाएगी।
सीट बंटवारे पर हो सकता है फैसला
सूत्रों के अनुसार, बैठक में जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा, केंद्रीय मंत्री ललन सिंह, वरिष्ठ नेता विजय कुमार चौधरी और संगठन के अन्य प्रमुख नेता शामिल होंगे। माना जा रहा है कि यह बैठक एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के भीतर सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने की दिशा में निर्णायक कदम साबित हो सकती है। नीतीश कुमार इस बार उम्मीदवारों के चयन में सामाजिक समीकरण, क्षेत्रीय प्रभाव और पिछले चुनावों के प्रदर्शन को प्रमुख आधार बना रहे हैं।
बीजेपी और जदयू के बीच कैसे संबंध ?
Bihar News: वर्ष 2020 के चुनावों में जदयू को एनडीए के तहत 115 सीटें मिली थीं, जबकि भाजपा 110 सीटों पर लड़ी थी। इस बार हालांकि राजनीतिक समीकरण कुछ हद तक बदले हुए नजर आ रहे हैं। जदयू और भाजपा के बीच गठबंधन अब भी मजबूत है, लेकिन सीटों की संख्या में कुछ फेरबदल संभव है। सूत्रों का मानना है कि इस बार जदयू 100 से 105 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, जबकि भाजपा को भी करीब इतने ही सीटें दी जा सकती हैं।
इन विधायकों की सीट खतरे में
Bihar News: बैठक में इस बात पर भी मंथन होगा कि किन सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया जाए। पार्टी की रणनीति के तहत उन विधायकों को टिकट से वंचित किया जा सकता है जो पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं या जिनका प्रदर्शन पिछले चुनाव में कमजोर रहा है। इसके अलावा, 75 साल से अधिक उम्र वाले नेताओं को भी टिकट न देने की नीति पर विचार किया जा रहा है। साथ ही, ऐसे नेताओं के परिवार से यदि एक से अधिक लोग चुनाव लड़ना चाह रहे हैं, तो उनमें से केवल एक को ही मौका देने की योजना है।

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