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Income Tax: आज कल की दुनिया में लोग कैश पेमेंट करना धीरे धीरे बंद करते जा रहे हैं, हर इंसान ऑनलाइन पेमेंट का ही इस्तेमाल करना आसान समझता है उसका ये भी कारण है की ये सुरक्षित है और इसमें कैश पेमेंट के मुकाबले समय भी कम लगता है इसके अलावा उनका हर काम बस एक क्लिक में हो जा रहा है। हालांकि दुनिया भले ही डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रही है लेकिन कई लोग आज भी अपने घरों में कैश रखते हैं, और लेन देन में कैश का इस्तेमाल करते हैं हालांकि आजकल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के छापेमारी की भी बहुत खबरें आती रहती हैं, ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये उठता है की एक घर में कितना कैश रखा जा सकता है जो की सेफ हो और जिससे कोई भी तरह की मुसीबत भी न हो। जरूरी सवाल ये है कि क्या घर में कानूनी तौर पर कैश रखने की कोई लिमिट है? चलिए जानते हैं इस बारे में पूरी जानकारी।
आपको बता दें कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अभी तक घर में कैश रखने की कोई लिमिट नहीं तय की है, चाहे रकम छोटी हो या बड़ी, कैश रखना कहीं से भी गैर-कानूनी नहीं है, अगर आपने ये साबित कर दिया कि आपका इनकम सोर्स पूरी तरह से वैध है और आपने धन कोई भी तरह का गलत काम करके नहीं कमाया है तो ये पूरी तरह से सही माना जायेगा।
भारत सरकार द्वारा बनाए गए आयकर अधिनियम (इनकम टैक्स ऐक्ट) की धारा 68 से लेकर 69B तक उन नियमों और प्रावधानों का उल्लेख किया गया है, जो किसी व्यक्ति के पास मौजूद कैश, निवेश, या अन्य संपत्तियों के सोर्स की वैधता से संबंधित होते हैं। इन धाराओं के अनुसार आगर कोई व्यक्ति अपनी आय का स्रोत स्पष्ट रूप से नहीं बता पाता है, तो उसे अवैध या अघोषित आय की श्रेणी में रखा जाता है। अगर किसी के पास उसकी घोषित सैलरी से अधिक संपत्ति या कैश पाया जाता है और वो व्यक्ति उसका कानूनी स्त्रोत या आय का जरिया नहीं बता पाता है तो टैक्स विभाग उसको काला धन मान के उसको जाब्त कर सकता है, और इसके चलते उस व्यक्ति को भरी मात्रा में टैक्स और जुरमाना यानि पेनल्टी देना पड़ सकता है।
अगर किसी व्यक्ति की पासबुक या कैशबुक में कोई राशि दर्ज की गई है, लेकिन वो व्यक्ति उस राशि का वैध और भरोसेमंद स्रोत स्पष्ट नहीं कर पाता है, तो उस रकम को ‘अघोषित आय’ के रूप में मान लिया जाता है। ये आय व्यक्ति की घोषित कमाई का हिस्सा नहीं मानी जाती।
अगर किसी व्यक्ति के पास नकद धनराशि, सोना-चांदी, निवेश, या अन्य मूल्यवान संपत्ति पाई जाती है और वह व्यक्ति यह साबित नहीं कर पाता कि उसने यह संपत्ति किस वैध आय के माध्यम से अर्जित की है, तो ऐसे मामलों में उस संपत्ति को ‘गुप्त या अघोषित संपत्ति’ (Undisclosed Investment) की श्रेणी में डाल दिया जाता है।
जब किसी व्यक्ति के पास उसकी घोषित आय से कहीं अधिक संपत्ति या नकदी पाई जाती है, और वो व्यक्ति उसका कानूनी स्रोत या आय का विवरण देने में असमर्थ रहता है, तो इनकम टैक्स विभाग उसे काले धन के रूप में चिह्नित कर सकता है। इसके चलते उस व्यक्ति पर भारी टैक्स और जुर्माने के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
इनकम टैक्स विभाग द्वारा की जाने वाली छापेमारी या पूछताछ के दौरान अगर आपके घर, ऑफिस या किसी भी और स्थान से बड़ी मात्रा में कैश या कीमती वस्तुएँ बरामद होती हैं, और आप ये स्पष्ट नहीं कर पाते कि ये चीजें आपने किसी वैध आय से खरीदी हैं, तो ऐसी सारी संपत्ति और नकदी को ‘अघोषित आय’ मान लिया जाएगा। इस स्थिति में सरकार आपके ऊपर न केवल मूल राशि पर इनकम टैक्स लगा सकती है, बल्कि इसके अतिरिक्त 78 प्रतिशत तक आपसे जुर्माना यानि पेनल्टी भी वसूला जा सकता है।
अगर इनकम टैक्स विभाग को इस बात का संदेह होता है कि आपने जानबूझकर अपनी आय या संपत्ति छिपाई है या टैक्स चोरी की कोशिश की है, तो विभाग आपके खिलाफ क्रिमिनल केस भी दर्ज कर सकता है। इस स्थिति में आपको न केवल आर्थिक दंड भरना पड़ सकता है, बल्कि इस अपराध के लिए आपको जेल भी जाना पड़ सकता है। सरकार द्वारा दी गई हर नागरिक को ये जिम्मेदारी दी गई है कि वो अपनी आय और संपत्ति के सभी स्रोतों का पूरा और पारदर्शी विवरण दे। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो इनकम टैक्स कानून के तहत गंभीर वित्तीय दंड और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।