US Sanctions On Indian Companies, image source: Industry Week
US Sanctions On Indian Companies: अमेरिका ने भारत समेत कई देशों की कंपनियों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए ईरान से तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों के व्यापार में शामिल होने के आरोप में 20 से अधिक कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। इनमें 6 भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं, जिन पर ईरान को आर्थिक रूप से फायदा पहुंचाने और मध्य पूर्व में अस्थिरता फैलाने में अप्रत्यक्ष सहयोग देने का आरोप है।
अमेरिकी विदेश विभाग ने 30 जुलाई को घोषणा की कि उसने ईरान के तेल, पेट्रोलियम उत्पादों और पेट्रोकेमिकल व्यापार से जुड़े वैश्विक नेटवर्क पर कार्रवाई की है। इस अभियान के तहत भारत, UAE, तुर्किए और इंडोनेशिया की कई कंपनियों को निशाना बनाया गया है। अमेरिका ने 10 जहाजों को भी “ब्लॉक्ड प्रॉपर्टी” घोषित किया है।
विदेश विभाग के अनुसार, ये कंपनियां ईरान के साथ मिलकर तेल और रसायनों की तस्करी कर रही थीं। इस व्यापार से मिलने वाला पैसा ईरानी शासन द्वारा आतंकी गतिविधियों और क्षेत्रीय अशांति को बढ़ावा देने में खर्च किया जाता है।
कंचन पॉलिमर्स – आरोप है कि इसने 1.3 मिलियन डॉलर से अधिक के ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पाद खरीदे।
अलकेमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड – वर्ष 2024 में इसने 84 मिलियन डॉलर के पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खरीद की।
रमणिकलाल एस गोसालिया एंड कंपनी – इसने जनवरी 2024 से जनवरी 2025 के बीच 22 मिलियन डॉलर से अधिक के ईरानी उत्पाद जैसे मेथनॉल और टोल्यूनि खरीदे।
जुपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड – इसने 49 मिलियन डॉलर के पेट्रोकेमिकल उत्पादों का आयात किया।
ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड – जुलाई 2023 से जनवरी 2024 के बीच इसने 51 मिलियन डॉलर से अधिक का व्यापार किया।
पर्सिस्टेंट पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड – इस कंपनी ने करीब 14 मिलियन डॉलर के ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पाद खरीदे।
इन कंपनियों की अमेरिका में मौजूद सभी संपत्तियों को फ्रीज किया जाएगा।
अमेरिकी नागरिकों और संस्थानों को इन कंपनियों से किसी भी प्रकार का लेनदेन करने की अनुमति नहीं होगी।
इन प्रतिबंधों का मकसद ईरान के रेवेन्यू नेटवर्क को बाधित करना है, जिससे वह अपने परमाणु और आतंकी एजेंडे को बढ़ावा देता है।
गौरतलब है कि इससे पहले फरवरी 2024 में अमेरिका ने 4 अन्य भारतीय कंपनियों पर भी इसी तरह के आरोपों में प्रतिबंध लगाए थे। अमेरिका का रुख साफ है कि जब तक ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम और आक्रामक क्षेत्रीय नीति को पूरी तरह नहीं रोकता, तब तक दबाव बनाए रखा जाएगा।
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