एलडीएफ सांसदों ने शाह से मुलाकात की, छत्तीसगढ़ में दो नन की गिरफ्तारी मामले में हस्तक्षेप की मांग की

एलडीएफ सांसदों ने शाह से मुलाकात की, छत्तीसगढ़ में दो नन की गिरफ्तारी मामले में हस्तक्षेप की मांग की

एलडीएफ सांसदों ने शाह से मुलाकात की, छत्तीसगढ़ में दो नन की गिरफ्तारी मामले में हस्तक्षेप की मांग की
Modified Date: July 31, 2025 / 09:29 pm IST
Published Date: July 31, 2025 9:29 pm IST

नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के सांसदों ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और मानव तस्करी तथा धर्मांतरण के आरोप में छत्तीसगढ़ में केरल की दो नन की गिरफ्तारी के मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा।

सांसदों ने मंत्री से आग्रह किया कि वे इस हमले को ईसाई मिशनरियों और मानवीय कार्यकर्ताओं के खिलाफ लक्षित हमलों के संदर्भ में देखें।

उन्होंने कहा कि 2024 में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की 834 घटनाएं दर्ज की गईं जो 2023 की 733 घटनाओं से अधिक हैं।

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हस्ताक्षरकर्ताओं में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के जॉन ब्रिटास, वी. शिवदासन, अमरा राम, आर. सचितनाथम, के. राधाकृष्णन, एए रहीम, भाकपा सांसद पी. संदोष कुमार, पीपी सुनीर और केरल कांग्रेस के सांसद जोस के मणि शामिल थे।

सांसदों ने इसे ‘घोर अन्याय’, ‘सांप्रदायिक धमकी’ और व्यवस्थागत विफलता का मामला बताया जिसने राष्ट्र की अंतरात्मा को आहत किया है। इस प्रकार उन्होंने इस मामले में शाह से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की।

सांसदों ने ज्ञापन में कहा, ‘‘केरल की दो कैथोलिक नन सिस्टर वंदना फ्रांसिस और सिस्टर प्रीति मैरी की हाल ही में छत्तीसगढ़ के दुर्ग में हुई गिरफ्तारी और उनका लगातार जेल में बंद रहना कोई अकेली घटना नहीं है। यह अल्पसंख्यक समुदायों और सबसे हाशिए पर पड़े लोगों के बीच निस्वार्थ भाव से काम करने वालों के सामने बढ़ते प्रतिकूल माहौल को दर्शाता है।’’

उन्होंने कहा कि आरोपों का न तो कोई ठोस आधार है और न ही इसका समर्थन करने वाला कोई प्रमाण है, ये ननों को परेशान करने, उनके मानवीय कार्यों को आपराधिक बनाने और धार्मिक अल्पसंख्यकों को बदनाम करने के बहाने से ज्यादा कुछ नहीं लगता।

उन्होंने कहा, ‘‘गौरतलब है कि संबंधित महिलाओं ने कथित तौर पर कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है और उन्होंने पुष्टि की है कि वे स्वेच्छा से यात्रा कर रही थीं, पहले से ही ईसाई धर्म का पालन कर रही थीं, और उनके माता-पिता की सहमति थी। फिर भी पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी को उचित ठहराने के लिए छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता की धारा 143 के कठोर प्रावधानों का इस्तेमाल किया।’’

उन्होंने कहा कि प्राथमिकी कथित तौर पर संबंधित महिलाओं की गवाही पर नहीं, बल्कि बजरंग दल के सदस्यों द्वारा दिए गए बयानों पर आधारित थी। उन्होंने यह भी कहा कि तकनीकी आधार पर ननों को जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।

एलडीएफ सांसदों ने ‘‘यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम ’’ द्वारा संकलित आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ सबसे अधिक प्रभावित राज्य हैं और अकेले छत्तीसगढ़ में इस वर्ष की पहली छमाही में ऐसी 82 घटनाएं दर्ज की गईं।

भाषा संतोष अविनाश

अविनाश


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