Jagdeep Dhankhar On Supreme Court | Image Source | IBC24
नई दिल्ली: Jagdeep Dhankhar On Supreme Court: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर अपनी राय फिर से सार्वजनिक रूप से व्यक्त की है, जो इस बार भी विवादों में घिर गया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि संसद में लोकतंत्र सर्वोपरि है और उससे ऊपर कोई भी प्राधिकरण नहीं है। उनके अनुसार, संविधान में किसी भी प्रकार के संशोधन या उसके स्वरूप को तय करने का अधिकार केवल सांसदों का है और उनके ऊपर कोई भी अन्य प्राधिकरण नहीं हो सकता।
Jagdeep Dhankhar Statement: धनखड़ का यह बयान विशेष रूप से तब आया जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा तमिलनाडु विधानसभा से पारित विधेयकों के राज्यपाल के पास लंबित होने के मामले में की गई टिप्पणी का जिक्र किया था। उपराष्ट्रपति ने कहा कि, “कैसा समय आ गया है कि सुप्रीम कोर्ट अब राष्ट्रपति को आदेश दे रहा है। अब राष्ट्रपति को तय समयसीमा में काम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट कह रहा है, और यदि राष्ट्रपति ने फैसला नहीं लिया, तो फिर विधेयकों को लागू माना जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस स्थिति में संसद को अदालत ही चलाना चाहती है।
देश में नागरिक ही सुप्रीम है !! संसद ही सुप्रीम है !!! pic.twitter.com/WVnqnaohjV
— Omkar Chaudhary (@omkarchaudhary) April 22, 2025
Jagdeep Dhankhar On Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु विधायिका के मामलों में संविधान के आर्टिकल 142 का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि यदि राष्ट्रपति ने समयसीमा के भीतर निर्णय नहीं लिया तो विधेयकों को लागू माना जाएगा। उपराष्ट्रपति ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि अदालत के हाथों में आर्टिकल 142 एक परमाणु की तरह है जो उसे देशभर में जनहित में निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करता है। हालांकि उनके इस बयान के बाद आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया। राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह बयान सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था को कमजोर करने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा बयान न्यायपालिका की स्वतंत्रता और शक्ति को चुनौती देने के रूप में देखा जा सकता है।
Jagdeep Dhankhar On Supreme Court: अपने बयान पर चल रही आलोचनाओं के बीच उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने जो कुछ भी कहा, वह राष्ट्रहित में था। उन्होंने कहा, “संवैधानिक पद पर बैठे हर व्यक्ति का बयान राष्ट्र के परम हित में होता है। उपराष्ट्रपति ने एक बार फिर दोहराया कि “लोकतंत्र में संसद सर्वोपरि है। निर्वाचित प्रतिनिधि तय करते हैं कि संविधान कैसा होगा। उनके ऊपर कोई और अथॉरिटी नहीं हो सकती।