Jagdeep Dhankhar On Supreme Court: Amidst criticism, Vice

Jagdeep Dhankhar On Supreme Court: आलोचना के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान, कहा- संसद ही सुप्रीम, उससे ऊपर कोई नहीं

आलोचना के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान...Jagdeep Dhankhar On Supreme Court: Amidst criticism, Vice President Jagdeep Dhankhar

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Modified Date: April 22, 2025 / 02:37 PM IST
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Published Date: April 22, 2025 2:37 pm IST
HIGHLIGHTS
  • उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान,
  • कहा- संसद ही सुप्रीम, उससे ऊपर कोई नहीं,
  • धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता जताई.

नई दिल्ली: Jagdeep Dhankhar On Supreme Court:  उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर अपनी राय फिर से सार्वजनिक रूप से व्यक्त की है, जो इस बार भी विवादों में घिर गया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि संसद में लोकतंत्र सर्वोपरि है और उससे ऊपर कोई भी प्राधिकरण नहीं है। उनके अनुसार, संविधान में किसी भी प्रकार के संशोधन या उसके स्वरूप को तय करने का अधिकार केवल सांसदों का है और उनके ऊपर कोई भी अन्य प्राधिकरण नहीं हो सकता।

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Jagdeep Dhankhar Statement:  धनखड़ का यह बयान विशेष रूप से तब आया जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा तमिलनाडु विधानसभा से पारित विधेयकों के राज्यपाल के पास लंबित होने के मामले में की गई टिप्पणी का जिक्र किया था। उपराष्ट्रपति ने कहा कि, “कैसा समय आ गया है कि सुप्रीम कोर्ट अब राष्ट्रपति को आदेश दे रहा है। अब राष्ट्रपति को तय समयसीमा में काम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट कह रहा है, और यदि राष्ट्रपति ने फैसला नहीं लिया, तो फिर विधेयकों को लागू माना जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस स्थिति में संसद को अदालत ही चलाना चाहती है।

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Jagdeep Dhankhar On Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु विधायिका के मामलों में संविधान के आर्टिकल 142 का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि यदि राष्ट्रपति ने समयसीमा के भीतर निर्णय नहीं लिया तो विधेयकों को लागू माना जाएगा। उपराष्ट्रपति ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि अदालत के हाथों में आर्टिकल 142 एक परमाणु की तरह है जो उसे देशभर में जनहित में निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करता है। हालांकि उनके इस बयान के बाद आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया। राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह बयान सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था को कमजोर करने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा बयान न्यायपालिका की स्वतंत्रता और शक्ति को चुनौती देने के रूप में देखा जा सकता है।

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Jagdeep Dhankhar On Supreme Court: अपने बयान पर चल रही आलोचनाओं के बीच उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने जो कुछ भी कहा, वह राष्ट्रहित में था। उन्होंने कहा, “संवैधानिक पद पर बैठे हर व्यक्ति का बयान राष्ट्र के परम हित में होता है। उपराष्ट्रपति ने एक बार फिर दोहराया कि “लोकतंत्र में संसद सर्वोपरि है। निर्वाचित प्रतिनिधि तय करते हैं कि संविधान कैसा होगा। उनके ऊपर कोई और अथॉरिटी नहीं हो सकती।

जगदीप धनखड़ सुप्रीम कोर्ट बयान" में क्या कहा गया था?

"जगदीप धनखड़ सुप्रीम कोर्ट बयान" में उपराष्ट्रपति ने कहा कि संसद लोकतंत्र में सर्वोपरि है और उसके ऊपर कोई और प्राधिकरण नहीं हो सकता।

"सुप्रीम कोर्ट का आर्टिकल 142" क्या है और इसे क्यों इस्तेमाल किया गया?

"सुप्रीम कोर्ट का आर्टिकल 142" का उपयोग संविधान के तहत सुप्रीम कोर्ट ने किया था, ताकि तमिलनाडु विधायिका से पारित विधेयकों को यदि राष्ट्रपति समय पर नहीं स्वीकारते, तो उन्हें लागू माना जाए।

"कपिल सिब्बल की प्रतिक्रिया" पर क्या था?

"कपिल सिब्बल की प्रतिक्रिया" में उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति का बयान सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था को कमजोर करने वाला है और इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता को चुनौती देने के रूप में देखा जा सकता है।

"उपराष्ट्रपति का कहना" क्या था?

उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनका बयान राष्ट्रहित में था और लोकतंत्र में संसद सर्वोपरि है। उनका मानना था कि संविधान में बदलाव का अधिकार सिर्फ सांसदों का है।

"लोकतंत्र में संसद सर्वोपरि" का क्या मतलब है?

"लोकतंत्र में संसद सर्वोपरि" का मतलब है कि संसद, जो चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा चलती है, संविधान के बारे में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार रखती है, और कोई अन्य प्राधिकरण इसके ऊपर नहीं हो सकता।