Ratan Tata Will: रतन टाटा की वसीयत में चौंकाने वाला खुलासा, मोहिनी के लिए छोड़ गए 500 करोड़..जानें कौन है ये

Ratan Tata Will: सूत्रों के अनुसार, यह धनराशि जमशेदपुर के निवासी और ट्रैवल सेक्टर से जुड़े मोहिनी मोहन दत्ता को दी गई है। यह जानकारी टाटा परिवार के सदस्यों के लिए भी अप्रत्याशित है।

Ratan Tata Will: रतन टाटा की वसीयत में चौंकाने वाला खुलासा, मोहिनी के लिए छोड़ गए 500 करोड़..जानें कौन है ये

Ratan Tata Will, image source: AFP

Modified Date: February 7, 2025 / 05:57 pm IST
Published Date: February 7, 2025 5:10 pm IST
HIGHLIGHTS
  • रतन टाटा की वसीयत में सामने आया चौंकाने वाला नाम
  • मोहिनी मोहन दत्ता को छोड़ गए हैं करीब 500 करोड़ रुपये
  • जमशेदपुर के रहने वाले मोहन दत्ता ट्रैवल सेक्टर से जुड़े हैं

नई दिल्ली: Ratan Tata Will, टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा की हाल ही में खोली गई वसीयत में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। उन्होंने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा, लगभग 500 करोड़ रुपये, एक ऐसे व्यक्ति के नाम किया है, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते थे। सूत्रों के अनुसार, यह धनराशि जमशेदपुर के निवासी और ट्रैवल सेक्टर से जुड़े मोहिनी मोहन दत्ता को दी गई है। यह जानकारी टाटा परिवार के सदस्यों के लिए भी अप्रत्याशित है।

कौन हैं मोहिनी मोहन दत्ता?

मोहिनी मोहन दत्ता जमशेदपुर के निवासी हैं और ट्रैवल उद्योग में कार्यरत हैं। उनका परिवार पहले “स्टैलियन” नामक एक ट्रैवल एजेंसी संचालित करता था, जिसे 2013 में ताज ग्रुप ऑफ होटल्स की इकाई ताज सर्विसेज में मिला दिया गया था। स्टैलियन में दत्ता परिवार की 80% हिस्सेदारी थी, जबकि शेष 20% टाटा इंडस्ट्रीज के पास थी। मोहिनी मोहन दत्ता टीसी ट्रैवल सर्विसेज के निदेशक भी रह चुके हैं, जो कि थॉमस कुक से जुड़ी एक कंपनी थी।

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रतन टाटा और दत्ता के संबंध

रतन टाटा के करीबी लोगों का कहना है कि मोहिनी मोहन दत्ता उनके पुराने साथी थे। हालांकि, इस बारे में स्वयं दत्ता ने कोई टिप्पणी नहीं की। रतन टाटा की वसीयत को निष्पादित करने वाले व्यक्तियों में उनकी सौतेली बहनें शिरीन और डीना जेजीभॉय शामिल हैं, जिन्होंने इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है। वसीयत के एक अन्य निष्पादक डेरियस खंबाटा और मेहली मिस्त्री ने भी इस पर टिप्पणी नहीं की।

रिपोर्ट के अनुसार, दत्ता की एक बेटी 2024 तक नौ वर्षों तक टाटा ट्रस्ट्स में कार्यरत रही और इससे पहले उन्होंने ताज होटल्स में भी काम किया था। टाटा समूह के सूत्रों का कहना है कि दत्ता स्वयं को टाटा परिवार का करीबी बताते थे। अक्टूबर 2024 में रतन टाटा के अंतिम संस्कार के दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया था कि वे पहली बार जमशेदपुर के डीलर्स हॉस्टल में रतन टाटा से मिले थे, जब रतन टाटा 24 वर्ष के थे। उन्होंने कहा था, “उन्होंने मेरी मदद की और मुझे आगे बढ़ाया।”

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रतन टाटा की वसीयत में अन्य प्रावधान

दत्ता को दिसंबर 2024 में मुंबई के NCPA में आयोजित रतन टाटा के जन्मदिन समारोह में भी आमंत्रित किया गया था। अपनी वसीयत में, रतन टाटा ने अधिकांश संपत्ति परोपकार के लिए छोड़ दी है। इसके अलावा, उन्होंने अपनी सौतेली बहनों के लिए भी कुछ राशि निर्धारित की है, जिन्होंने कथित तौर पर अपनी संपत्ति का हिस्सा दान करने की इच्छा जताई है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस संपत्ति के बंटवारे की गहन जांच की जाएगी।

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रतन टाटा की संपत्ति और निवेश

अपने अंतिम वर्षों में, रतन टाटा ने अपनी संपत्ति के प्रबंधन और वितरण के लिए दो संस्थाएं स्थापित की थीं—रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट। अनुमान के अनुसार, उनके पास टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 0.83% हिस्सेदारी थी और उनकी कुल संपत्ति लगभग 8,000 करोड़ रुपये थी।

इसके अलावा, उनके पास फेरारी और मसेराती जैसी लग्जरी कारें, महंगी पेंटिंग्स, विभिन्न स्टार्टअप्स में निवेश और अन्य वित्तीय संपत्तियां भी थीं। उनके निजी निवेश वाहन, RNT एसोसिएट्स, के पास वित्त वर्ष 2023 तक 186 करोड़ रुपये का निवेश था, जिसका मौजूदा बाजार मूल्य कई गुना बढ़ चुका होगा।

रतन टाटा की संपत्ति का वितरण उनकी वसीयत को प्रोबेट के लिए जमा करने और उच्च न्यायालय द्वारा प्रमाणित किए जाने के बाद ही किया जाएगा। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रक्रिया में लगभग छह महीने का समय लग सकता है। यह खुलासा टाटा समूह और कॉर्पोरेट जगत में चर्चा का विषय बन गया है।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com