Train washing station in Nava Raipur: केंद्री में 60 एकड़ में बनेगा ट्रेन वाशिंग स्टेशन, खरसिया से नवा रायपुर तक रेल लाइन का विस्तार
Train washing station in Nava Raipur: वाशिंग स्टेशन बनने के बाद बोगियों और इंजन की मरम्मत के अलावा रखरखाव शुरू हो जाएगा। पूरे प्रोजेक्ट की लागत 1500 करोड़ रुपए है। इसके साथ ही रेल सुविधाएं बढ़ेंगी।
Train washing station in Nava Raipur, image credit: file image IBC24
- वाशिंग स्टेशन बनने के बाद बोगियों और इंजन की मरम्मत
- पूरे प्रोजेक्ट की लागत 1500 करोड़ रुपए
- खरसिया से रेल लाइन का विस्तार नया रायपुर तक
रायपुर: Train washing station in Nava Raipur, नवा रायपुर के केंद्री स्टेशन के पास रेलवे का वॉशिंग स्टेशन बनेगा। इसके लिए 60 एकड़ जमीन का चयन कर लिया गया है। वाशिंग स्टेशन बनने के बाद बोगियों और इंजन की मरम्मत के अलावा रखरखाव शुरू हो जाएगा। पूरे प्रोजेक्ट की लागत 1500 करोड़ रुपए है। इसके साथ ही रेल सुविधाएं बढ़ेंगी।
रेलवे के अधिकारियों के अनुसार खरसिया से रेल लाइन का विस्तार नया रायपुर तक होगा। यहां के ट्रैक को परमलकसा तक जोड़ा जाएगा। उसके बाद नवा रायपुर से कोलकाता, मुंबई और विशाखापट्टनम तक सीधे ट्रेन चलेगी। रेलवे तकरीबन एक दर्जन से अधिक ट्रेनें शुरू करेगा। अभी रायपुर स्टेशन या इसके आस-पास वॉशिंग स्टेशन नहीं है। पहले चरण में रायपुर विशाखापट्टनम वंदे भारत एक्सप्रेस, दुर्ग-जम्मूतवी, दुर्ग निजामुद्दीन, दुर्ग गोरखपुर, दुर्ग-कानपुर, दुर्ग-भोपाल, दुर्ग-जयपुर, दुर्ग-अजमेर, दुर्ग-दल्ली राजहरा एक्सप्रेस को चलाने की योजना है।
खरसिया से बलौदाबाजार होकर 266 किमी रेल लाइन
Train washing station will be built in Nava Raipur, इन शहरों से होते हुए 266 किमी रेल लाइन बिछेगी केंद्री में वाशिंग स्टेशन बनने से लोगों को बड़ा फायदा मिलेगा। अभी रायपुर स्टेशन से एक भी ट्रेन नहीं बनती। इससे यात्रियों को रिजर्वेशन का कोटा कम मिलता है। वाशिंग स्टेशन बनने से यहां से ट्रेनें शुरू होंगी और लोगों का सफर आसान होगा। अभी जिस वॉशिंग स्टेशन के साथ जो प्रोजेक्ट लाया जा रहा है, उसके अनुसार खरसिया से बलौदाबाजार होकर केंद्री, अभनपुर और दुर्ग पैवारा होते हुए परमलकसा तक रेल लाइन बिछाई जाएगी। इसके सर्वे का काम चल रहा है। कई इलाके रेल से जुड़ेंगे इस प्रोजेक्ट से छत्तीसगढ़ के कई इलाके ऐसे हैं, जो आजादी के बाद पहली बार रेल नेटवर्क से जुड़ेंगे। इससे उन इलाकों में रहने वाले लोगों को यात्री ट्रेन की सुविधा मिलेगी। यह लाइन जिन इलाकों से गुजरेगी, वहां सीमेंट व अन्य उद्योग हैं, इसलिए यह रूट ढुलाई के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा।
रेलवे के मुताबिक एक ट्रेन के मैकेनिकल मेंटेनेंस और धुलाई के लिए 6 घंटे का समय निर्धारित है। इसमें गाड़ियों के डिब्बों का मेंटनेंस कर हर डिब्बे की धुलाई की जाती है। लेकिन दुर्ग में जगह कम होने से ट्रेनों की मरम्मत के दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। रेलवे डीआरएम श्री दयानंद के अनुसार इसके लिए सर्वे शुरू हो गया है। रायपुर राजधानी होने के नाते भविष्य में यहां से और ट्रेनें चलेंगी। इसके लिए कोचिंग डिपो बनाने का प्रस्ताव है। इससे 30 गाड़ियों की मरम्मत हो सकेगी। इसके लिए सरकार से नवा रायपुर में जमीन देने के लिए पत्र लिखा गया है। खरसिया लाइन को नवा रायपुर से जोड़ने के लिए सर्वे हो रहा है।

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