National Handicrafts Award 2025: CG के हस्तशिल्प को राष्ट्रीय पुरस्कार! बस्तर की इस महिला को मिला ‘शिल्प गुरु’ सम्मान, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शिल्पकार श्रीमती हीराबाई झरेका बघेल को राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार से किया सम्मानित
National Handicrafts Award 2025/ image source: IBC24
- राष्ट्रपति ने हिराबाई बघेल को सम्मानित किया।
- धातुकला में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार।
- शिल्पकारों के योगदान को पहचान मिली।
National Handicrafts Award 2025: नई दिल्ली: नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में छत्तीसगढ़ की शिल्पकार श्रीमती हीराबाई झरेका बघेल को धातुकला (बेल मेटल) में उनके अद्वितीय योगदान के लिए राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

विज्ञान भवन में हुआ कार्यक्रम का आयोजन
इस कार्यक्रम का आयोजन मंगलवार को विज्ञान भवन में हुआ, जहां 2023 और 2024 के विशिष्ट शिल्पियों को सम्मानित किया गया। छत्तीसगढ़ की सुश्री हीराबाई झरेका बघेल को विशेष रूप से रेखांकित किया गया, क्योंकि उनका धातुकला क्षेत्र में विशिष्ट योगदान रहा है। वे जगदलपुर से हैं और बेल मेटल (धातु कला) में उनकी कला की पहचान देशभर में हो चुकी है।
मुख्य अतिथि राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु थीं
National Handicrafts Award 2025: समारोह की मुख्य अतिथि राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु थीं, जबकि केंद्रीय कपड़ा मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कपड़ा एवं विदेश राज्य मंत्री श्री पबित्रा मरगेरीटा भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर शिल्पकारों, कलाकारों और हस्तशिल्प उद्योग से जुड़े अन्य प्रमुख लोग भी मौजूद थे।
हस्तशिल्प पुरस्कारों की स्थापना 1965 में की गई
National Handicrafts Award 2025: राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कारों की स्थापना 1965 में की गई थी, जिसका उद्देश्य देश के उन उत्कृष्ट शिल्पियों को पहचान देना है जिन्होंने अपनी कला के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध किया है। “शिल्प गुरु” पुरस्कार, जिसे 2002 में शुरू किया गया था, हस्तशिल्प क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है और यह उन शिल्प गुरुओं को प्रदान किया जाता है जिन्होंने परंपरागत कला के संरक्षण, नवाचार और असाधारण निपुणता का परिचय दिया है।
यह कार्यक्रम राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह (8 से 14 दिसंबर) के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया, जो हस्तशिल्प की सामाजिक-आर्थिक महत्ता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करता है। इनमें हस्तकला प्रदर्शनी, कार्यशालाएँ, शिल्प प्रदर्शन, पैनल चर्चा और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं। इन गतिविधियों का उद्देश्य देशभर में हस्तशिल्प की महत्ता को जन-जन तक पहुँचाना और शिल्पियों के काम को प्रोत्साहित करना है।
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