UP चुनाव में योगी के खिलाफ BJP में बना माहौल, मोदी की मजबूरी UP में योगी जरूरी |

UP चुनाव में योगी के खिलाफ BJP में बना माहौल, मोदी की मजबूरी UP में योगी जरूरी

बीजेपी के भीतर एक ऐसे रामबाण फार्मूले की बात हो रही है जो विपक्षियों को चारों खाने चित्त भी कर सकता है....

:   Modified Date:  November 28, 2022 / 10:58 PM IST, Published Date : January 13, 2022/9:24 pm IST

आज हम फिर से यूपी के चुनाव की बात करने वाले हैं…UP में अब हर दिन राजनीतिक दलों और नेताओं के नए -नए पैंतरे सामने आ रहे हैं….इन पैंतरों से अभी तक तो बीजेपी की ही मुसीबतें बढ़ती दिख रही हैं…हर दिन बीजेपी के लिए खतरा बड़ा होता जा रहा है…. ऐसे में बीजेपी के भीतर एक ऐसे रामबाण फार्मूले की बात हो रही है जो विपक्षियों को चारों खाने चित्त भी कर सकता है….

बीजेपी के रामबाण पर चर्चा बाद में करेंगे जरा उसके पहले बीजेपी के लिए कुछ नए खतरे जो सामने आ गए हैं उनकी बात भी कर लेते हैं…. आप जानते हैं कि यूपी में योगी आदित्यनाथ को सीएम पद से हटाने के लिए चुनावों के पहले एक बड़ी मुहिम चली थी…कहा जाता है कि इस मुहिम में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी शामिल थे…दूसरी तरफ एक और मौर्य स्वामी प्रसाद अभी – अभी योगी को छोड़कर चले गए हैं और आरोप भी लगा दिया है कि योगी राज में पिछड़ों की उपेक्षा हो रही है… दो दिनों में दो मंत्रियों समेत एक दर्जन से ज्यादा विधायक बीजेपी छो़ड़कर समाजवादी बनने की राह पर जा चुके हैं और सबका करीब- करीब इसी तरह का आरोप है…जाहिर है सबको पहले ही पढ़ाया जा चुका है कि जब वे बीजेपी को छोड़ेंगे तो क्या आरोप लगाना है और समाज में क्या संदेश देना है….सभी विपक्षी दल इस बात से छटपटा रहे हैं कि पिछली बार पिछड़ों ने बीजेपी का साथ दे दिया था जबकि इतने सालों से वे उनको अपनी जेब में समझ रहे थे….इसलिए अब पिछड़ों की उपेक्षा का आरोप योगी सरकार पर लगाकर विधायकों – मंत्रियों से इस्तीफे दिलवाए जा रहे हैं….यूपी में किसकी सरकार बनेगी ये इस बार पिछड़े ही तय करेंगे ऐसा माना जा रहा है….हालांकि उनके साथ दलितों की बात भी की जा रही है लेकिन पूरा फोकस पिछड़ों पर है….समाजवादी पार्टी को ही सबसे ज्यादा इनसे उम्मीद है….पिछड़ों के भरोसे मुलायम परिवार सालों तक सत्ता सुख पाता रहा है भले ही समाज को बदले में कुछ न मिला हो….तो पहला लक्ष्य यह है कि पिछड़ों को बीजेपी से दूर कर दिया जाए…योगी का चेहरा इस लक्ष्य की पूर्ति में बाधा है….लोग उन्हें संत मानकर उनके प्रति अलग भाव रखते हैं यही वजह है कि योगी को खलनायक बताने की कोशिश भी हो रही है….उन पर पिछड़ा और दलित विरोधी होने का आरोप चिपकाया जा रहा है…. दूसरी तरफ योगी पर आरोप से बीजेपी के उन पिछड़े नेताओं को सीएम का दावेदार बनने का मौका मिल रहा है जो इसी का इंतजार कर रहे थे….लेकिन इस बार सीन ऐसा बन गया है कि ऐसे नेताओं को सीएम की कुर्सी की तरफ देखने की इजाजत भी बीजेपी नहीं दे सकती….
यह तो साफ दिख रहा है कि सीएम की दावेदारी करते रहे बीजेपी के एक भी नेता में ताकत नहीं है कि वह आज के बदले हुए माहौल में बीजेपी को जीत दिला दे…यानी पार्टी के भीतर योगी के खिलाफ अगर माहौल है तो भी मोदी की मजबूरी है कि वे योगी को ही सीएम का चेहरा रखें….

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कुछ महीने पहले तक यूपी में विपक्ष की रणनीति थी कि चुनाव में किसी तरह योगी का चेहरा पीछे ही रखवा दिया जाए पर वह रणनीति सफल नहीं हुई….अब योगी को बदनाम करने की मुहिम शुरू की गई है… अब कई बीजेपी विधायको के पार्टी छोड़ने और विपक्षियों के चक्रव्यू तैयार होने के बाद जो स्थिति बन रही है उससे साफ है कि बीजेपी के लिए दिनों- दिन यूपी की राह कठिन होती जा रही है और अब उसके विकास और दूसरे मुद्दे जातिवाद की राजनीति के सामने बौने दिखने लगे हैं…हालांकि बीजेपी ने भी अपने जातिवादी मोहरे तैयार किए हैं…

समाजवादी और बीजेपी के बाद अब जरा विपक्ष के अन्य दलों के पैंतरों को समझें सबसे पहले बात मायावती की करें …मायावती खुद इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे ये घोषणा उन्होंने कर दी है…इसका पहला कारण तो यही समझ आता है कि वे ममता बनर्जी से सीख चुकी हैं बड़ा चेहरा हार जाए तो किरकिरी भी बड़ी होती है…अगर गठबंधन के जरिए सरकार बनाने का कोई मौका आता है तो हारा उम्मीद्वार सीएम पद के लिए दावेदार नहीं हो सकता है…मायावती यह तो समझती हैं… चुनाव नहीं लड़ने का दूसरा कारण यह हो सकता है कि वे अपनी सीट पर फंस जाएंगी और उनको दूसरी सीटों पर प्रचार का ज्यादा मौका नहीं मिल पाएगा….मायावती की बसपा के महासचिव सतीशचंद्र मिश्रा अभी पार्टी की तरफ से ज्यादा सामने आ रहे हैं…. मायावती पिछले काफी समय से प्रचार से दूर हैं उनकी तरफ से सतीशचंद्र मिश्रा को आगे करना एक रणनीति का ही हिस्सा है…वे ब्राह्मण वोटों की आस लिए बैठी हैं और मिश्रा को आगे करने से कुछ फायदे की उम्मीद उनको है….अब जरा कांग्रेस की रणनीति की बात करें तो कांग्रेस ने सवा सौ प्रत्याशियों की पहली सूची में 50 महिलाओं को मौका दिया है…. इससे दूसरे दलों पर भी महिलाओं को आगे करने का दबाव बढ़ गया है बीजेपी इसमें जरा पिछड़ जाएगी ऐसा दिख रहा है….दरअसल यूपी में पार्टी को लीड कर रही प्रियंका गांधी ने 40% टिकट महिलाओं को देने का ऐलान पहले ही कर दिया था। उनके ऐलान के बाद चुनावी तैयारी पूरा कर चुकी बाकी पार्टियों को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना पड़ा है। प्रियंका ने कहा था कि ये फैसला राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है। 2017 में समाजवादी पार्टी और बसपा ने 8 फीसदी महिलाओं को टिकट दिया। वहीं कांग्रेस ने 4 फीसदी और बीजेपी ने 3 फीसदी महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया था।
अब कांग्रेस ने महिलाओं को लुभाने के लिए नया दांव खेला है पर उसने पहले चरण में जिन महिलाओं को टिकट बांटे हैं इससे उसकी चुनावी संभावनाएं कमजोर होती ही दिख रही हैं…

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विपक्षियों के दांव और पैंतरों के बाद अब बीजेपी के पैंतरे की बात करते हैं… यूपी में जातिवाद के आधार पर पूरा समीकरण बीजेपी के खिलाफ बनाया जा चुका है और बीजेपी इसमें फंसी हुई दिख रही है…पार्टी में जातिवादी आधार बनाते हुए जिस तरह भागने वालों की कतार लग रही है वह काफी चिंता की बात है…हम पहले ही कह चुके हैं कि ऐसी स्थिति यदि बनती है तो सिर्फ मंदिर का ही मुद्दा होगा जो जातिवाद के फंडे को नाकाम कर सकता है और अब बीजेपी इसी चाल को चलने जा रही है….
बीजेपी में चर्चा हो रही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अयोध्या से चुनाव लड़ाया जाए….अभी वे विधानपरिषद के सदस्य हैं….गोरखपुर से सांसद की सीट वे जीतते रहे हैं…राममंदिर का फैसला आने के बाद योगी अयोध्या में खूब आते जाते रहे हैं…अयोध्या में दीपावली का पर्व उनके आने के बाद भव्यतम रूप ले चुका है… देश विदेश में अयोध्या की पहचान बनाने में योगी कामयाब हुए हैं…. नदी तट पर सौन्दर्यीकरण खूब हुआ है…. बीजेपी के लिए अयोध्या में राममंदिर का मुद्दा रामबाण से कम नहीं है और वह इसे चलाने की तैयारी कर रही है…योगी को विधानपरिषद से हटाकर चुनाव लड़ाया गया तो पूरे यूपी में माहौल हिन्दुत्व वाला हो जाएगा…और अंतिम विकल्प यही है जो बीजेपी को भाता है… और विपक्षियों को डराता है…इसीलिए अब विपक्षियों ने शिवसेना को भी यूपी में चुनाव लड़ने के लिए बुला लिया है पर यह तो तय है कि यूपी मे शिवसेना की दुर्गति ही होगी…शिवसेना के सांसद संजय राउत कहा है ‘शिवसेना यूपी में किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं होगी। हम यूपी में बदलाव चाहते हैं।’ राउत ने आगे कहा, इस बार हमने 50 से 100 उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया है। जाहिर है हिन्दुत्व के नाम पर आने वाले वोटों को काटने की कोशिश शिवसेना करेगी पर जो प्रचार अभी यूपी में ओवैसी की पार्टी को लेकर किया जाता है कि वह मुस्लिम वोट काटने आई है वही बात शिवसेना के साथ भी होगी….उसे हिन्दु वोट काटने वाला बताया जाएगा….
माना जा रहा है कि योगी अयोध्या से लड़ते हैं तो अवध समेत पूर्वांचल की सभी सीटों पर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनेगा पर हकीकत तो यही है कि पूरे यूपी में इसका असर होगा… विपक्ष इसी एक मुद्दे से घबराया हुआ है और उसे इसी की काट ढूंढे नहीं मिल रहा…देखना होगा अगड़े – पिछड़े सब समीकरण जमाकर बैठे विपक्ष को जातिवाद का लाभ मिलता है या फिर राममंदिर सब पर भारी रहेगा…यूपी का इस बार का रिजल्ट लोकसभा चुनावों में भी पूरे देश के लिए माहौल बनाएगा…

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