UP Elections में बहुत कठिन है डगर BJP की, मोदी- योगी को मिली कड़ी चुनौती |

UP Elections में बहुत कठिन है डगर BJP की, मोदी- योगी को मिली कड़ी चुनौती

UP Elections: कांग्रेस- मायावती और अखिलेश सबकी राह अलग -अलग है इसके बावजूद BJP के लिए खतरा बढ़ गया है

:   Modified Date:  November 28, 2022 / 09:08 PM IST, Published Date : January 12, 2022/9:19 pm IST

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यूपी में चुनाव अब दिलचस्प हो गया है कांग्रेस से लेकर मायावती और अखिलेश की पार्टी भले ही अलग अलग चुनाव लड़ रही हों…. मैदान में ओवैसी भी मुसलमानों का वोट बटोरने पहुंच गए हों… पर BJP  के लिए मुसीबतें बढ़ गई हैं….और मुसीबतें उसके अपने लोग भी बढ़ाने में लगे हैं…

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तो पहले हम बात कर लें कि यूपी में BJP को इस बार क्या क्या और कहां कहां से खतरा है….

पिछली बार कांग्रेस और समाजवादी एक साथ मिलकर सायकल चला रहे थे तब योगी मोदी ने डबल सवारी सायकल को बहुत पीछे छोड़ दिया था….बुआ मायावती… और बबुआ अखिलेश दोनों मिलकर भी साथ चले थे पर मोदी योगी का कुछ नहीं बिगाड़ पाए थे पर अब ….कांग्रेस- मायावती और अखिलेश सबकी राह अलग -अलग है इसके बावजूद BJP के लिए खतरा बढ़ गया है….

यूपी में विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही उठापटक की राजनीति शुरू हो गई है सबसे पहला झटका बीजेपी को ही लगा है और उसके एक मंत्री समेत 2 विधायक पार्टी छोड़कर समाजवादी बनने की राह पर हैं…BJP  के कुछ और विधायकों के पार्टी छोड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है…अभी अभी इस्तीफा देकर समाजवादियों से मोलतोल में जुटे योगी के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को पिछड़ों का नेता माना जाता है…. मौर्य उसी के दम पर हुंकार भर रहे हैं और योगी सरकार को धूल चटाने का दावा कर रहे हैं… बताया जा रहा है कि इनकी धमकी के बाद भी BJP  इनको मनाने में जुट गई है…उनके साथ कुछ और विधायकों के पार्टी छोड़ने की तैयारी को देख BJP  डैमेज कंट्रोल में जुट गई है….

देश में पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में जिस तरह से ज्यादातर प्रत्याशियों को बदलकर BJP जीती थी इससे उसे यह लग रहा है कि जिस विधायक या सांसद को जनता का विशेष सहयोग नहीं दिखता उसे अगली बार टिकट न दिया जाए…प्रत्याशी बदलने के कुछ फायदे तो होते हैं लेकिन वह तभी होता है जब पुराना प्रत्याशी टांग न अड़ाए….यूपी में इसके आसार कम ही हैं….कई तरह के सर्वे कराने के बाद बीजेपी ने संकेत दिए थे कि चुनाव में लगभग 40% विधायकों का टिकट काटा जाएगा और नए चेहरे उतारेंगे…ऐसे में जिनका टिकट कट गया वो चुप बैठैंगे इसकी संभावना कम ही है…हो सकता है… वह निर्दलीय उतर जाएं…दूसरे दल में चले जाएं या फिर पार्टी में रहकर ही सहयोग बंद कर दें या भीतरघात करने लग जाएं….यह सभी आशंकाएं बनी हुई हैं….इन परिस्थितियों से बीजेपी को बड़ा खतरा है….

इसके साथ ही अगल अलग दलों से मौकापरस्तों को लाकर BJP  ने पिछली बार भारी भरकम जीत पा ली थी… पर वह भूल गई कि मौका परस्त वहीं रहेंगे जहां उनको मलाई और आगे बढ़ने का मौका दोनों मिलेगा….कल को कोई दूसरा उनको बढ़िया ऑफर दे तो वो वहीं जाएंगे…यह अब शुरू हो गया है…. इसलिए कई विधायक उसे छोड़कर जाने लगे हैं…कल तक योगी- मोदी के चेहरे को ही चुनावी जीत के लिए पर्याप्त मान रही BJP को आज डर लग रहा है …..इसलिए किसी एक वर्ग या समुदाय को जेब में रखकर…. अपने मुताबिक उनका वोट डलवाने का दावा करने वाले नेताओं की जरूरत उसे पड़ रही है…

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इधर दो दिनों में जो माहौल BJP के भीतर बदला है उससे लग रहा है कि पार्टी अब 20 फीसदी से ज्यादा चेहरे बदलने की हिम्मत नहीं कर पाएगी और जो चेहरे बदलेंगे भी तो पुराने नेताओं के परिवार के लोगों को ही टिकट मिलने की संभावना बहुत ज्यादा है….

यानी बीजेपी को सर्वे नहीं बल्कि पुराने राजनीतिक अनुभव के आधार पर काम करना  होगा….खैर ये तो हुई BJP को उसके अंदर मिलने वाली चुनौती की बात….

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अब कुछ और बातें करें जिससे BJP को दिक्कत हो सकती है…..पार्टी को यूपी में कई और चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा…. इसलिए इस बार BJP के जीत की राह जरा कठिन नजर आ रही है…

आप सोच सकते हैं कि कांग्रेस- मायावती और अखिलेश के अलग अलग लड़ने से बीजेपी को ही फायदा होगा, क्योंकि उनके वोट आपस में बंट जाएंगे और बीजेपी का प्रतिबद्ध वोटर योगी के साथ ही होगा… यह बात वैसे तो ऊपर से ठीक लग रही है पर राजनीति के मैदान में कई बार जो दिख रहा है वह होता नहीं है और जो नहीं दिख रहा है वही हो जाता है….

बहुत संभावना है कि कांग्रेस और अखिलेश यदि गठबंधन करके एक साथ लड़ते हैं तो इनके विरोधी वोट एकजुट होकर बीजेपी में जाएंगे…यही बात  बसपा- कांग्रेस या बसपा- सपा के एक साथ आने पर भी लागू होगी… इसे जरा स्पष्ट कहें तो खतरा यह है कि जो लोग कांग्रेस को वोट नहीं देना चाहते वो… और जो अखिलेश की समाजवादी पार्टी को वोट नहीं देना चाहते वो….ये दोनों तरह के वोटर गठबंधन होने पर दोनों के विरोध में हो सकते हैं और बीजेपी की तरफ जा सकते हैं….यानी बीजेपी का नहीं होने के बाद भी ये वोटर विरोध के कारण एकजुट होकर बीजेपी की तरफ जाएंगे… पर अगर कांग्रेस अलग लड़े तो उसको पसंद नहीं करने वाले लोग समाजवादी को वोट दे सकेंगे…यही बात समाजवादियों के विरोधी वोटर पर लागू होगी वह कांग्रेस या बसपा को वोट देंगे…

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अब आप गणित को देखें यूपी की ताजा तस्वीर देखकर ये तो एकदम साफ है कि BJP के लिए स्थिति बहुत खराब भी रही तो भी कांग्रेस, बसपा और सपा किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा….पर एक संभावना ये बनती है कि तीनों दलों की सीटों को एक साथ मिला दिया जाए तो शायद सरकार बनाने का मौका मिल जाए….ये भी मजे की बात है कि बीजेपी को गद्दी से हटाने के लिए इस बार ये तीनों एक साथ नहीं बल्कि एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं …..क्योंकि उन्होंने मिलकर लड़ने का अंजाम देख लिया है….अब ये तीनों दल चुपचाप अंदर से गठबंधन कर चुके हैं…. इनका सपना है पहले अलग लड़ो और फिर एकसाथ आकर सरकार बनाओ….ऊपर से ओवैसी को भी….. अगर वे सीट जीत पाए तो इनके साथ आने मे दिक्कत नहीं होगी….वैसे उसकी छवि BJP के सपोर्टर की तरह बना दी गई है….

 

ऊपर से लगता तो है कि चुनाव में कांग्रेस से बसपा और सपा को नुकसान होगा… सपा- बसपा एक दूसरे को या कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगे पर ऐसा बिलकुल भी नहीं है बल्कि ये तीनों दल एक दूसरे की संभावनाओं को ही बढ़ाएंगे… यानी इनके अलग लड़ने का नुकसान बीजेपी को हो सकता है….ऐसी स्थिति में सिर्फ एक ही चीज बीजेपी को यूपी में जीत दिला सकती है और वह यह है कि यदि जनता योगी और मोदी को विश्वसनीय मानती हो और सरकार का काम उसे पसंद आया हो….

 

सब जानते हैं कि राजनीति में बाहुबलियों की दखल कुछ सालों में बढ़ा है और उनकी भूमिका चुनावों में रहती है… योगी सरकार ने एक एक कर बाहुबलियों को ठिकाने लगा दिया है और आरोपों से बचने के लिए अपनी पार्टी के भी कई बाहुबलियों पर भी योगी ने सख्ती की थी ….माना जा रहा है इन सभी बाहुबलियों के विरोध का सामना भी चुनाव में योगी को करना होगा….

 

पार्टी के भीतर कुछ पुराने नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नजर लगाए बैठे थे पर बीजेपी ने योगी को ही अपना सीएम चेहरा बता दिया है…..ऐसे में जो खुद को दावेदार समझते हैं वे योगी को कितनी मदद करेंगे वह भी देखना होगा….

तो आपने देख लिया कि यूपी में बीजेपी के लिए कितनी और किस तरह की चुनौतियां हैं पर क्या दूसरे दलों के लिए रास्ता आसान होगा….या मोदी योगी का चेहरा सब पर भारी पड़ जाएगा…

तो जरा उन मुद्दों की बात करें जिनसे दूसरे दलों को भी खतरा है… एक संभावना तो बनी हुई है कि हिन्दू वोट इस बार फिर एकजुट करने की कोशिश मोदी- योगी की पार्टी करे …अयोध्या में राम मंदिर… काशी विश्वनाथ कारीडोर…. और अब मथुरा का उद्धार ऐसे बड़े मुद्दे हैं जो हिन्दुओं के लिए भावनात्मक महत्व रखते हैं….बसपा हो या कांग्रेस हो या समाजवादी इन तीनों ही दलों ने कुछ समय पहले तक इन मुद्दों से दूरी बना रखी थी ये सब जानते हैं….चुनाव में ये तीनों दल अब हिन्दुओं का वोट पाने के लिए

राम या कृष्ण भक्त बनने की कोशिश में लगे हैं… पर इसका कोई लाभ इन दलों को मिलेगा ऐसा नहीं लगता…जातिवाद से शायद मंदिर मुद्दा ही पिंड छुड़ा सकता है…अगर ऐसा कुछ होता है तो उम्मीद की जा सकती है कि बीजेपी की जान बच जाए…

 

AI MIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की सक्रियता भी एक फैक्टर है.. यह दूसरे दलों को फंसा सकता है…जिस तरह से ओवैसी घूम घूमकर कह रहे हैं कि यूपी में 19 फीसदी मुस्लिम हैं, और इन तमाम पार्टियों ने इस समाज से कोई लीडरशिप नहीं बनने दी….ओवैसी मुस्लिम वोटों के polarization ध्रुवीकरण  की कोशिश में जुटे हैं यदि वे सफल हो गए तो सबसे ज्यादा नुकसान समाजवादी पार्टी को होगा क्योंकि यह माना जा रहा है कि यूपी के मुसलमान इस बार समाजवादियों को ही वोट देने का मन बना चुके हैं…

एक और फैक्टर की जरा बात कर लें जिससे दूसरे दलों को नुकसान हो सकता है…अब

तोड़फोड़ की राजनीति में बीजेपी भी जुट गई है….बीजेपी के कुछ नेता समाजवादी बनने चले तो बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के बड़े नेता हरिओम यादव को अपने साथ कर लिया…हरिओम यादव रिश्ते में मुलायम सिंह यादव के समधि हैं, ऐसा बताया जाता है…उनके अलावा उत्तर प्रदेश कांग्रेस के एक विधायक नरेश सैनी और सपा के पूर्व विधायक धर्मपाल यादव भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं….यानी तोड़फोड़ अभी सब तरफ चलना ही है…और जैसा अनुमान लगाया जाता है जिस दल की बोली मजबूत रहेगी उसके साथ ज्यादा मजबूत लोग दिखेंगे…..अगर ऐसा कुछ है तो इस पैमाने पर बीजेपी को ज्यादा मजबूत माना जा सकता है…

तो अब तक यूपी में आसानी से जीत का दावा करती रही बीजेपी के लिए इस बार सत्ता की डगर जरा कठिन ही है…देखते हैं आने वाले दिनों में और क्या समीकरण बनेंगे….